मुजफ्फरपुर: सेवा से बरखास्त होने के बाद भी कर्मचारियों से काम लिया जाता रहा. कर्मचारी उपस्थिति पंजी पर हाजिरी भी बनाते रहे, लेकिन नगर निगम को पिछले तीन सालों में इसकी भनक तक नहीं लगी.
बुधवार को जब नगर आयुक्त अरुण कुमार सिंह को इसका पता चला तो निगम कार्यालय में हड़कंप मच गया. उन्होंने संबंधित सभी कर्मचारियों की जम कर क्लास लगायी. यही नहीं, मामले में निगम के पांच कर्मचारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है. साथ ही कड़ी कार्रवाई की बात कही है.
नगर निगम के पांच कर्मचारियों को 2010 में सेवा से बरखास्त कर दिया गया था. निगम प्रशासन के अनुसार तब से अब तक वरीय कर्मचारियों की मिलीभगत से पांचों काम करने के साथ हाजिरी भी बना रहे थे. काम के बदले वेतन नहीं मिलने पर इनमें से एक ने मानवाधिकार आयोग को आवेदन भेजा. इसके बाद आयोग की ओर से संबंधित मामले में निगम प्रशासन को एक नोटिस मिली. इसके बाद पूरे मामले की पोल खुल गयी.
कर्मियों से मांगा स्पष्टीकरण
नगर आयुक्त ने नगर निगम के जितेंद्र कुमार सिंह, अमरेंद्र कुमार सिन्हा, प्रेम शंकर कुमार सिन्हा, राम लाला शर्मा व राज किशोर ठाकुर से उक्त मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने बताया है कि इन कर्मियों ने साजिश के तहत अवैध तरीके से सेवा से बरखास्त कर्मचारियों से हाजिरी बनवायी है. आयुक्त ने बताया कि अगर भविष्य में बरखास्त कर्मचारियों को वेतन का दावा बनता है तो इनके वेतन व ग्रेच्युटी मद से राशि की कटौती की जायेगी.