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खर्च 12 लाख, मरीज नदारद
मुजफ्फरपुर: शहरी स्वास्थ्य सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार प्रति महीने 12 लाख खर्च कर रही है, लेकिन इसका फायदा मरीजों को नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि मरीजों के इलाज के लिए शहर में चार पीएचसी खोले गये, लेकिन किसी भी पीएचसी में रोजाना 20 से अधिक मरीज नहीं पहुंचते. आठ घंटे […]
मुजफ्फरपुर: शहरी स्वास्थ्य सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार प्रति महीने 12 लाख खर्च कर रही है, लेकिन इसका फायदा मरीजों को नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि मरीजों के इलाज के लिए शहर में चार पीएचसी खोले गये, लेकिन किसी भी पीएचसी में रोजाना 20 से अधिक मरीज नहीं पहुंचते. आठ घंटे तक चलने वाले ओपीडी में डॉक्टर व पारामेडिकल स्टाफ मरीजों का इंतजार करते रहते हैं. जबकि इसके लिए लाखों का फंड खर्च किया जा रहा है. ऐसा स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण है. विभाग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर पीएचसी तो खोल दिया, लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं दी गयी. नतीजा शहरी पीएचसी वाले क्षेत्रों से लोग सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं.
एक घंटा में औसतन पहुंचते हैं दो मरीज
शहर के चतुर्भुज स्थान, अघोरिया बाजार, ब्रह्मपुरा व गोला रोड में खुले शहरी पीएचसी की हालत एक जैसी है. इन पीएचसी में प्रति घंटा दो मरीज से ज्यादा नहीं पहुंचते. दोपहर 12 से रात्रि आठ घंटे तक चलने वाले ओपीडी में प्रति दिन अधिकतम मरीजों की संख्या 17-18 तक पहुंचती है. किसी-किसी दिन तो दस मरीज ही इलाज के लिए आ पाते हैं. डॉक्टर व कर्मी बैठ कर मरीजों का इंतजार करते रहते हैं. शुक्रवार को तो चतुर्भुज स्थान रोड वाले पीएचसी में शाम चार बजे तक तक महज पांच मरीज ही पहुंचे थे.
पीएचसी में संसाधन का हो रहा दुरुपयोग
एक ओर सदर अस्पताल व पीएचसी में डॉक्टर की कमी है. वहीं चार शहरी पीएचसी में आठ डॉक्टर व आठ एएएनम, चार डाटा ऑपरेटर व चार चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी तैनात हैं. इनके पास आठ घंटे की ड्यूटी में आधा घंटा का भी काम नहीं है. कारण यहां मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग इन केंद्रों की कभी सुधि भी नहीं लेता. यहां मरीजों की संख्या कैसे बढ़े इसके लिए प्रयास भी नहीं किया जाता. नतीजा चारों शहरी पीएचसी में पूरे महीने दो हजार मरीज भी नहीं पहुंच पाते.
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