मुजफ्फरपुर : गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से कम्युनिटी कॉलेज के सभागार में रविवार को पर्यावरण व समाज विषय पर संवाद का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्र में पर्यावरण से आशय प्रकृति और समाज के माहौल से होता है. मानव सभ्यता के आरंभ में एक मात्र जरूरत भोजन थी. कालांतर में हमारी जरूरतें बदलती और बढ़ती गयी, प्रकृति का दोहन बढ़ता गया. एक स्थिति ऐसी आई कि इसने पर्यावरण संकट का रूप ले लिया. कहा कि विकास एक सतत प्रक्रिया है. वह चलता रहेगा.
विकास एवं पर्यावरण का सामंजस्य हो, इसके प्रति समाज को जागरूक होना होगा. विषय प्रवेश कराते हुए प्रो विकास नारायण उपाध्याय ने कहा कि भारतीय परंपरा में पर्यावरण के प्रति प्राचीनकाल से एक खास चेतना रही है. अनेक साहित्य भी इस पर रचे गए हैं. आधुनिक युग में पर्यावरण के प्रति चिंता जगी है. अनिल शंकर ठाकुर ने कहा कि आज लोग प्रदूषण खूब फैला रहे है और निराकरण के लिए सिर्फ सरकार पर आश्रित है.
प्रो केके झा ने कहा कि पर्यावरण पोषक पेड़ों को अधिक से अधिक लगाया जाए. प्रो अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि विकास की जो दिशा है उससे पर्यावरण की बात छूटती जा रही है. डॉ अनिल कुमार ओझा ने कहा कि पर्यावरण के सवाल की अनदेखी करके यह सभ्यता टिकाऊ नहीं हो सकती.