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नियमों को दरकिनार कर बच्चा राय के कॉलेजों को दी मान्यता

मुजफ्फरपुर: बच्चा राय के चार कॉलेज सहित 23 अन्य कॉलेजों का मामला पूर्व कुलपति डॉ विमल कुमार राय के कार्यकाल में विचाराधीन था. सीनेट की बैठक में इसे अस्वीकृत कर दिया गया था. लेकिन वर्तमान कुलपति डॉ पी पलांडे ने नियमों को दरकिनार कर 11 फरवरी 2015 की आमसभा के इन कॉलेजों के संबंधन का […]

मुजफ्फरपुर: बच्चा राय के चार कॉलेज सहित 23 अन्य कॉलेजों का मामला पूर्व कुलपति डॉ विमल कुमार राय के कार्यकाल में विचाराधीन था. सीनेट की बैठक में इसे अस्वीकृत कर दिया गया था. लेकिन वर्तमान कुलपति डॉ पी पलांडे ने नियमों को दरकिनार कर 11 फरवरी 2015 की आमसभा के इन कॉलेजों के संबंधन का प्रस्ताव रखा. काफी विवाद के बाद इन कॉलेजों को एक सत्र के लिए संबंधन की स्वीकृति दी गयी. लेकिन कुलपति ने निर्णय को नजरअंदाज करते हुए इन कालेजों को चार-चार सत्रों के लिए संबंधन की अनुशंसा कर दी.

ये बातें सिंडिकेट सदस्य डॉ हरेंद्र कुमार ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों के प्रति कुलपति की मेहरबानी का नतीजा यह रहा है कि कॉलेजों का सीनेट की बैठक से पहले भौतिक सत्यापन नहीं कराया गया. टॉपर्स घोटाले में बच्चा राय के कॉलेज का नाम आने के बाद विवि ने आनन-फानन में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया. एक ही दिन एफिलिएशन, सिंडिकेट और एकेडमिक कौंसिल की बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा कि तीनों बैठकें एक ही दिन बुलाकर बच्चा राय के चारों कॉलेजाें की जांच के लिए 18 दिन बाद उच्च स्तरीय टीम का गठन करना भी सवालों के घेरे में है.

डॉ हरेंद्र ने कहा कि कुलपति की तानाशाही का नतीजा यह है कि प्रेस वार्ता की जानकारी होने पर गेस्ट हाऊस के सभी कमरों में ताला बंद करवा दिया गया.
इस दौरान प्रेस वार्ता में अशोक कुमार चौधरी, महंथ राजीव रंजन दास, सीनेट सदस्य सत्येंद्र कुमार टुनटुन, सिंडिकेट मेंबर नरेंद्र पटेल आदि मौजूद रहे.
रुपयों का किया गया गोलमाल?
डॉ कुमार ने कहा कि इनके कार्यकाल में रुपयों का जमकर गोलमाल किया गया है. वीसी जब कार्यकाल संभाले थे, तब परीक्षा विभाग में 12 करोड़ रुपये जमा थे, लेकिन मौजूदा समय में केवल तीन करोड़ 75 लाख रुपये ही बचे हैं. नैक के नाम पर वोकेशनल फंड से दो करोड़ रुपये की निकासी की गयी है. साथ ही चार करोड़ रुपये बिल्डिंग व अन्य कार्यों में खर्च कर दिया गया.
इतना ही नहीं, एक एनजीओ के माध्यम से 11 जून को जापान यात्रा करके आये हैं. इसका भुगतान विवि यूजीसी फंड से करने की तैयारी में है. शैक्षणिक सत्र लेट चल रहा है. इस पर उनका ध्यान नहीं है.
वीसी की डिग्री पर भी उठाये सवाल?
कुलपति की डिग्री पर सवाल उठाते हुए डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ पलांडे 1986 में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करते हैं. 1986 से 1990 के बीच चार कॉलेजों में व्याख्याता के रूप में रहे हैं. 1990 में पीएचडी की डिग्री लेते हैं. पुन: 1990 में व्याख्याता बन जाते हैं. दो वर्षों के पश्चात 1992 में रीडर बन जाते हैं और 1997 में प्रोफेसर भी बन जाते हैं.

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