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मोतीपुर के बरजी में अब भी रोज मर रहे पांच से दस काग

मुजफ्फरपुर : मोतीपुर में कौओं की मौत के बाद अब काग भी लगातार मौत के मुंह में समा रहे हैं. बरजी गांव में दो हफ्ते पहले, जहां करीब दो सौ कौओं की मौत हुई थी, उसके आसपास के इलाकों में अब काग जमीन पर मरे पड़े मिल रहे हैं. इलाके के लीची के बागों में […]

मुजफ्फरपुर : मोतीपुर में कौओं की मौत के बाद अब काग भी लगातार मौत के मुंह में समा रहे हैं. बरजी गांव में दो हफ्ते पहले, जहां करीब दो सौ कौओं की मौत हुई थी, उसके आसपास के इलाकों में अब काग जमीन पर मरे पड़े मिल रहे हैं. इलाके के लीची के बागों में कौओं का आना करीब-करीब बंद हो गया है. काग भी इक्के-दुक्के ही दिखते हैं, जो भी इस इलाके में आते हैं. वे अपनी जान गंवा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बागों में हर दिन पांच से दस काग मृत पाये जा रहे हैं.

तड़प कर निकलती है जान. बरजी गांव में फुदेना पंडित कदम की नर्सरी लगाकर पौधा बेचते हैं, जहां कौओं की मौत हुई थी, उसी बागीचे के समीप इनकी नर्सरी है. पंडित बताते हैं कि वे लगातार अपनी नर्सरी में समय देते हैं और देखने आते हैं. कहते हैं कि किसी भी रास्ते से आइए, लीची गाछी में या किसी बांस गाछी में मृत काग जमीन पर पड़ा मिल जायेगा. वे तड़प-तड़प कर जान दे रहे हैं, लेकिन किसी को इनकी जान का फिक्र नहीं है. पक्षियों की मौत से वे आहत हैं.
बरजी में अब
गांव में बगीचे में पानी पटवन कर रहे जलंधर सहनी बताते हैं कि इनकी मौत से काफी तकलीफ होती है. वायरस से इनकी मौत हुई, यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी. आखिर पक्षियों की मौत कब तक होती रहेगी, अधिकारियों और विशेषज्ञों की फौज मौत का सिलसिला कम करेंगे या नहीं, बहुत बड़ा सवाल है. जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत का सिलसिला क्यों नहीं थमा?
यहीं पर बागों की निगरानी कर रहे कृपाल सहनी बताते हैं कि कौओं व काग की मौत रहस्य बनती जा रही है. बीडीओ आये, सीओ आये, डॉक्टर आये, वन विभाग के अधिकार आये, जब इनके आने के बाद भी मौत का सिलसिला नहीं थमा, तो फिर आने से क्या फायदा? यहां के पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गियों की हालत एकदम सही है. लोग सभी मुर्गियों का वैक्सीनेशन करते हैं. सभी का नियमित इलाज होता है. आखिर वायरस कहां से आया? इसकी जांच हो.
कोट-
कौओं के बाद कागों की मौत से ग्रामीण चिंतित, कह रहे, कब रुकेगा पक्षियों की मौत का सिलसिला
अधिकारियों ने दौरा किया फिर भी नहीं बदली स्थिति
इलाके के पॉल्ट्री फॉर्म में अभी तक मुर्गियां सुरक्षित
पेड़ पर बैठे काग को िदखाते ग्रामीण फुदेना पंिडत व जमीन पर मृत पड़ा काग. फोटो। माधव
कौओं की प्रजाति में काग भी आता है.
पारामिक्सोवायरस टाइप-1 वायरस से ही इनकी भी मौत हो सकती है. अभी तक काग के मरने की सूचना नहीं है, लेकिन मौत हुई है, तो इसकी फिर जांच करायेंगे. वहां के भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी को मौके पर भेज कर स्थिति का जायजा लेंगे.
डॉ जगन्नाथ बैठा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर
कौओं की मौत के बाद हर दिन पांच से दस कागों की मौत की सूचना मिल रही है. काग की भी मौत पारामिक्सोवायरस टाइप-1 से हो रही है. वहां जल्द ही स्थिति का जायजा लेने जायेंगे. डीएम के निर्देशानुसार लोग पॉल्ट्री फॉर्म की निगरानी कर रहे हैं. इसके बाद भी स्थिति नहीं संभल रही है. गहन मंथन की जरूरत है.

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