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सरकार ने माना एइएस की वजह लीची का टॉक्सिन

विनय मुजफ्फरपुर : केंद्र के बाद राज्य सरकार ने भी मान लिया है कि एइएस का कारण लीची में पाया जानेवाला टॉक्सिन है. इसको लेकर शनिवार को होटल अतिथि में हुई कार्यशाला में चर्चा हुई और वक्ताओं ने इस बात को प्रमुखता से रखा. इस दौरान उन रिसर्च का हवाला दिया गया, जिनमें इस बात […]

विनय
मुजफ्फरपुर : केंद्र के बाद राज्य सरकार ने भी मान लिया है कि एइएस का कारण लीची में पाया जानेवाला टॉक्सिन है. इसको लेकर शनिवार को होटल अतिथि में हुई कार्यशाला में चर्चा हुई और वक्ताओं ने इस बात को प्रमुखता से रखा. इस दौरान उन रिसर्च का हवाला दिया गया, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है. हालांकि लीची नाम आने के बाद से ही इसका विरोध होता रहा है.
सरकार की ओर से जारी निर्देशिका में कहा गया कि लीची के बीज, अधपके व पके लीची के फल में एक ऐसा जहरीला रसायन है, जो खून में चीनी के स्तर को एकाएक कम कर देता है व मरीज गंभीर अवस्था में चला जाता है. इस तरह जहरीला रसायन पूरे पके हुए लीची के फल में कम मात्र में होता है. मरीजों में ये लक्षण लीची के फल में पाये जाने वाले जहरीले रसायन के कारण होता है. हालांकि सरकार की ओर से जारी मार्ग निर्देशिका के बंटने के बाद कार्यशाला में कई डॉक्टरों ने इस पर मतभेद जाहिर किया, जबकि रिपोर्ट बनानेवाले विशेषज्ञों का कहना था कि अबतक के शोध में जो बातें आयी हैं, उसी के आधार पर इसे लिखा गया है. शोध निर्देशिका तैयार करनेवालों में डॉ केपी सिन्हा, डॉ एमपी शर्मा, डॉ निगम प्रकाश, डॉ ब्रजमोहन, डॉ एके जायसवाल, डॉ अलका सिंह, डॉ संजय कुमार व डॉ गोपाल शंकर सहनी शामिल थे.
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केंद्र सरकार ने भी किया था जिक्र
राज्य सरकार की ओर से पहले केंद्र सरकार के महिला बाल विकास मंत्रलय की ओर से निर्देश जारी किये गये थे, जिसमें बच्चों को लीची गाछ से दूर रखने की बात कही गयी थी. इसमें भी लीची के टॉक्सिन का जिक्र किया गया था.
वजह पता चली, तो इलाज क्या?
अगर सरकार की ओर से जारी निर्देशों की बात करें, तो एइएस की वजह टॉक्सिन है, तो इसका इलाज क्या है. इसके लिए किस तरह का उपचार प्रभावित बच्चों का होना चाहिये. अभी तक लक्षण के आधार पर इलाज किये जाने की बात कही जाती रही है. इसी के आधार पर पीड़ित बच्चों का इलाज भी होता आया है.
तीन साल पहले उठा था मुद्दा
लीची में टॉक्सिन होने का मुद्दा तीन साल पहले उठा था, तब इसका विरोध भी हुआ था. शहर में जांच के लिए पहुंचे एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा था कि लीची की भी जांच होनी चाहिये. कहीं, इसमें ही बीमारी की वजह नहीं छुपी हो. उस समय सब लोगों ने एक स्वर में इसका विरोध किया था, लेकिन इसके बाद ही जांच शुरू हुई.
अटलांटा तक जांच में नहीं चला था पता
एइएस किस वजह से होता है. पीड़ित बच्चों के सैंपल से सैंपल लेकर इसकी जांच अटलांटा तक में हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था, चूंकि बीमारी का पता नहीं चल पाया था. इस वजह से इसके इलाज को लेकर भी किसी तरह की बात नहीं हो पायी थी.

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