मुजफ्फरपुर: नये साल की शुरुआत के साथ नोट फॉर वोट का जिन्न फिर से बोतल के बाहर आ गया है. इस मामले में आरोपित पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी, मेयर वर्षा सिंह व पूर्व मेयर विमला देवी तुलस्यान की संपत्ति का ब्योरा निगरानी ने मांगा है. इसके अलावा 23 अन्य आरोपितों की संपत्ति का ब्योरा भी तलब किया गया है. इन लोगों की संपत्ति जब्त करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए निगरानी डीएसपी ने संबंधित विभागों को नोटिस भेजी है, जिसमें एक सप्ताह के अंदर इन लोगों की संपत्ति की जानकारी मांगी गयी है. इस मामले में ग्यारह माह पहले निगरानी एसपी उपेंद्र कुमार की जांच रिपोर्ट पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
इसके बाद मामले की जांच निगरानी डीएसपी विजय प्रताप सिंह को सौपी गयी थी. संपत्ति जब्ती की कार्रवाई भी विजय प्रताप सिंह की ओर से की जा रही है. इसके लिए कोर्ट से अनुमति मांगी जायेगी. इस मामले में नगर निगम, डीटीओ, निबंधन व मुशहरी सीओ से जानकारी मांगी गयी है. जिला निबंधन ऑफिस से आरोपितों के नाम 30 मई 2007 से 31 दिसंबर 2012 के बीच खरीद-फरोख्त की गयी संपत्ति का ब्योरा मांगा गया है. वहीं, डीटीओ से 2007 के बाद खरीदारी की गयी गाड़ियों की संख्या एवं उसकी कीमत सहित जानकारी देने को कहा है. जबकि, निगम से शहरी इलाके में आरोपितों एवं उनके परिवार के सदस्यों का बने भवनों की संख्या और टैक्स भुगतान से संबंधित जानकारी देने को कहा है.
मुशहरी सीओ से पुस्तैनी संपत्ति से संबंधित लेखा-जोखा उपलब्ध कराने को कहा है. पुराने दस्तावेजों का लेखा-जोखा कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में अपलोड नहीं रहने के कारण निबंधन व डीटीओ ऑफिस को एक सप्ताह के भीतर पांच सालों को रेकॉर्ड खंगालने मेंपरेशानी हो रही है. बावजूद दोनों विभाग के अधिकारी तय समय-सीमा के भीतर निगरानी को मांगे गये ब्योरा उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश में हैं.
2007 में दर्ज हुआ था मामला
अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने 13 दिसंबर 2007 को विशेष निगरानी कोर्ट में नोट फॉर वोट का मामला दर्ज कराया था. इसमें तत्कालीन नगर विधायक विजेंद्र चौधरी, तत्कालीन मेयर विमला देवी तुलस्यान व मेयर पुत्र पिंटू तुलस्यान पर आरोप लगाया था, सभी अन्य अभियुक्तों के मिलकर मेयर की कुरसी के लिए थोक-भाव में वार्ड पार्षदों की खरीद-फरोख्त की है. इसके तहत विजेंद्र चौधरी व पिंटू तुलस्यान ने मेयर के चुनाव में विमला देवी को मत देने के लिए 21 पार्षदों को खरीदा था. मेयर की कुरसी के पक्ष में मत देने के लिए तीन से छह लाख रुपये पार्षदों को दिये गये थे.
इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 15 दिसंबर 2007 को मामले की जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना के हवाले कर दिया था. निगरानी ने जांच प्रक्रिया को पूरा कर पांच सालों बाद 31 जनवरी 2013 को निगरानी थाना पटना में मामला को सत्य पाते हुए पूर्व विधायक समेत 26 आरोपितों के विरुद्ध नामजद एफआइआर दर्ज किया था.
पूर्व विधायक समेत 26 का नाम
जिनकी संपत्ति का ब्योरा मांगा गया है. उनमें पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी, पूर्व मेयर विमला देवी तुलस्यान व उनके पुत्र पिंटू तुलस्यान, वर्तमान मेयर वर्षा सिंह, वार्ड तीन के तत्कालीन पार्षद चतुर्भुज प्रसाद गुप्ता, वार्ड चार के सुशीला देवी, वार्ड दो की सीमा देवी, वार्ड एक के उमेश पासवान, वार्ड आठ के कृष्ण कुमार साह, वार्ड दस की रिजवाना खातून, वार्ड 12 की तत्कालीन पार्षद मंजू देवी, वार्ड 13 के तत्कालीन पार्षद सुरेश चौधरी, वार्ड 14 की तत्कालीन पार्षद कुमारी नंदा चौधरी, वार्ड 16 की रेणु शर्मा, वार्ड 17 की पार्षद राखी देवी, वार्ड 21 के तत्कालीन पार्षद राज कुमार, वार्ड 32 के रामेश्वर पासवान, वार्ड 47 की पार्षद सुनीता देवी, वार्ड 35 की तत्कालीन पार्षद ज्योति देवी, वार्ड 38 के मो इकबाल कुरैशी, वार्ड 40 की तत्कालीन पार्षद मंजू देवी केडिया, वार्ड 41 के तत्कालीन पार्षद अमर सिंह, वार्ड 46 की पार्षद समिदा खातून, वार्ड 48 की तत्कालीन पार्षद रामेश्वरी देवी, वार्ड 49 की तत्कालीन पार्षद अंजू देवी एवं दुर्गा स्थान गोला रोड निवासी डंपू चचान उर्फ देवेंद्र चचान का नाम शामिल है.