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बार की बैठक: अश्लील मैसेज प्रकरण, दो वकीलों के निलंबन की अवधि बढ़ायी
मुजफ्फरपुर:महिला अधिवक्ता को अश्लील मैसेज भेजने और कोर्ट कैंपस में मारपीट का विवाद अभी शांत होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. जिला बार एसोसिएशन की बुधवार की कार्यकारिणी की बैठक में दोनों अधिवक्ताओं के निलंबन की अवधि बढ़ा दी गयी है. हालांकि यह अवधि कब तक जारी रहेगी, इस पर संगठन ने कोई फैसला […]
मुजफ्फरपुर:महिला अधिवक्ता को अश्लील मैसेज भेजने और कोर्ट कैंपस में मारपीट का विवाद अभी शांत होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. जिला बार एसोसिएशन की बुधवार की कार्यकारिणी की बैठक में दोनों अधिवक्ताओं के निलंबन की अवधि बढ़ा दी गयी है. हालांकि यह अवधि कब तक जारी रहेगी, इस पर संगठन ने कोई फैसला नहीं लिया है. इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक सूचना सार्वजनिक नहीं की गयी है.
हालांकि सूत्रों ने बताया कि बुधवार को आयोजित बैठक में अश्लील मैसेज भेजने के आरोपित अधिवक्ता शंभु शरण उपाध्याय और पीड़ित महिला अधिवक्ता सविता कुमारी और सविता कुमारी के सीनियर अधिवक्ता मनोज कुमार मिश्रा ने उपस्थित होकर संगठन के अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखा. अधिवक्ता मनोज कुमार मिश्रा ने संगठन के समक्ष उपस्थित होकर कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया था. जवाब से संतुष्ट होकर संगठन ने उनकी यथास्थिति बहाल कर दी है. लेकिन शंभु शरण उपाध्याय और सविता कुमारी का निलंबन जारी रखने के फैसले पर संगठन कायम है.
दोनों अधिवक्ताओं पर हो सकती है आगे की कार्रवाई. अश्लील मैसेज प्रकारण में मारपीट में फंसे शंभु शरण उपाध्याय और सविता कुमारी को संगठन से मिलने वाली सुविधधाओं पर इन दिनों रोक लगी है. उन दोनों को संगठन के संसाधनों का उपयोग कर वकालत करने की सुविधा नहीं मिल रही है. आगे दोनों अधिवक्ताओं की सदस्यता पर भी संगठन फैसला ले सकता है. अगर स्टेट बार एसोसिएशन के पास रिपोर्ट जाती है तो इन लोगों की प्रैक्टिस पर हमेशा के लिए रोक लगने का प्रावधान है.
संगठन के अध्यक्ष नवल किशोर सिन्हा ने बैठक की अध्यक्षता की. इस मौके पर महासचिव सच्चिदानंद सिंह, संयुक्त सचिव अरविंद कुमार, केशव कुमार, सहायक सचिव अरविंद कुमार, राजू कुमार, राम नारायण झा, डीपी यादव, सुनिता कुमारी, जय मंगल प्रसाद, जयप्रकाश सहाय मौजूद थे.
सविता को निलंबन पर बंटा संगठन
सविता कुमारी के निलंबन को जारी रखने पर संगठन के पदाधिकारी दो खेमों में विभाजित हो गये थे. इसको लेकर संगठन में काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही. लोगों का कहना था कि सविता की जब कोई गलती नहीं पायी गयी तो इनका निलंबन कैसे हो सकता है? इन्हें मुक्त कर यथास्थिति बहाल की जाये. इनका निलंबन कानूनी तौर पर बिल्कुल गलत है. हालांकि एसोसिएशन का एक खेमा सविता के निलंबन के पक्ष में अड़ा रहा.
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