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निगरानी ने की 8 साल में केवल 32 मामलों की जांच

निगरानी ने की 8 साल में केवल 32 मामलों की जांच -2007 से 2015 तक कोर्ट से भेजे गये हैं 304 मामले -कई आइएएस व आइपीएस पर भी है निगरानी में केस -डीजी व प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी पर भी है मामले -कोर्ट की नोटिस के बाद भी नहीं पूरी हो रही निगरानी जांच […]

निगरानी ने की 8 साल में केवल 32 मामलों की जांच -2007 से 2015 तक कोर्ट से भेजे गये हैं 304 मामले -कई आइएएस व आइपीएस पर भी है निगरानी में केस -डीजी व प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी पर भी है मामले -कोर्ट की नोटिस के बाद भी नहीं पूरी हो रही निगरानी जांच -सूचना अधिकार से मांगी गयी रिपोर्ट से हुआ खुलासा संवाददाता, मुजफ्फरपुर विशेष निगरानी न्यायालय मुजफ्फरपुर में 2007 से अब तक 304 मामले की जांच रिपोर्ट निगरानी विभाग से मांगी गयी, लेकिन इसमें अब तक निगरानी ने मात्र 32 मामलों में ही जांच रिपोर्ट न्यायालय को दी है. इसके कारण 272 मामले पेंडिंग है. इसका खुलासा अधिवक्ता सुधीर ओझा द्वारा मांगे गये सूचना अधिकार की रिपोर्ट से हुआ है. अधिवक्ता सुधीर ओझा ने उत्तर बिहार विशेष निगरानी न्यायाधीश के न्यायालय के लोक सूचना पदाधिकारी से आरटीआइ के तहत यह सूचना मांगी थी कि 2007 से अब तक निगरानी न्यायालय में दर्ज कितने मामले की जांच रिपोर्ट निगरानी विभाग से की गयी है. कितने मामले में जांच रिपोर्ट न्यायालय को सौंपा गया है और कितना पेंडिंग है. आरटीआइ के तहत उपलब्ध कराई गयी रिपोर्ट से यह मामला सामने आया है कि कोर्ट से 304 मामलों की जांच रिपोर्ट मांगी थी जिसमें मात्र 32 मामलों की रिपोर्ट भेजी गयी है. जानकारी के अनुसार निगरानी न्यायालय में दर्ज कराये गये मामलों में डीजी, एडीजी, प्रधान सचिव स्तर के कई अधिकारियों के साथ ही दर्जनों आइएएस, आइपीएस, सिविल सर्जन व चिकित्सक पर केस दर्ज है. स्वास्थ्य विभाग में घोटाला, पशु पालन विभाग में घोटाला, सोलर लाइट घोटाला जैसे कई बड़े मामले भी दर्ज है. अधिवक्ता सुधीर ओझा ने बताया कि निगरानी विभाग कई मामलों में गलत रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंप दिया है. एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है और निगरानी विभाग मामले में शिथिलता बरत रही है. निगरानी विभाग में जांच के लंबित इन मामलों को लेकर वे हाइकोर्ट में सोमवार तक पीआइएल दायर कर देंगे. कई बार कोर्ट के रिमाइंडर के बाद भी रिपोर्ट पेंडिंग रखा गया है. जिससे केस का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. निगरानी को जांच के लिए मिले वर्षवार मामले वर्ष कुल मामले जांच प्रतिवेदन मिला 2007 58 6 2008 66 7 2009 23 -2010 8 3 2011 18 5 2012 34 3 2013 34 3 2014 35 4 2015 26 1 नोट: वर्ष 2015 में दो मामले जांच के लिए स्पेशल विजिलेंस एसपी पटना को दिये गये हैं.

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