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छोटे-बड़े में भेद नहीं करते थे पंकज

छोटे-बड़े में भेद नहीं करते थे पंकज पंकज सिंह की मौत पर भावुक हुए मित्र नवीन शर्माकहा, यकीन नहीं हो रहा कि फिर कभी नहीं होगी भेंटवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर पंकज सिंह मानवप्रेमी थे. उनकी नजर में न कोई छोटा था न बड़ा. उन्होंने एक बार मेरे सामने महादलित को गले लगा लिया था. वे सभी […]

छोटे-बड़े में भेद नहीं करते थे पंकज पंकज सिंह की मौत पर भावुक हुए मित्र नवीन शर्माकहा, यकीन नहीं हो रहा कि फिर कभी नहीं होगी भेंटवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर पंकज सिंह मानवप्रेमी थे. उनकी नजर में न कोई छोटा था न बड़ा. उन्होंने एक बार मेरे सामने महादलित को गले लगा लिया था. वे सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करते थे. जब भी मिलते तो कहते, ठीक से रहना. आज कैसे भूल सकता हूं, बचपन से आज तक साथ गुजारा क्षण. दुख यह संस्मरण समकालीन कविता के महत्वपूर्ण कवि पंकज सिंह के मित्र नवीन शर्मा का था. शनिवार को जब उन्होंने उनकी मौत की खबर सुनी तो हैरान रहे गये. उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ. एक महीने पहले तो कई शाम साथ गुजारे थे. अनिल शर्मा कहते हैं कि पंकज अादापुर हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद मुजफ्फरपुर आये थे. इसके बाद एलएस कॉलेज में इतिहास से ग्रेजुएशन व बिहार विश्वविद्यालय से एमए किया. हमलोग साथ पढ़ते थे. कॉलेज के दिनों से ही पंकज का दृष्टिकाेण साफ था. पिछले दिनों जब वे यहां आये थे तो हमलोग साथ थे. दिल्ली जाने से एक दिन पहले हमलोग अखाड़ाघाट स्थित एक मित्र हरेंद्र प्रसाद सिंह के यहां भोजन करने गये थे. बहुत सारी बातें हुईं. कुछ पुरानी यादें. लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि उनके साथ मेरी अंतिम मुलाकात है.

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