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पीआरटी में आरक्षण क्यों नहीं
मुजफ्फरपुर : एक तरफ बीआरए बिहार विवि प्रशासन इन दिनों शोधकर्ताओं को यूजीसी रेगुलेशन-2009 का प्रमाण पत्र बांट रहा है, ताकि उन्हें बीपीएससी की ओर से लेक्चरर बहाली के लिए बुलाये गये इंटरव्यू में भाग लेने का मौका मिल सके. वहीं दूसरी तरह इसके प्रावधानों की अनदेखी कर वह खुद मुसीबत में घिरता जा रहा […]
मुजफ्फरपुर : एक तरफ बीआरए बिहार विवि प्रशासन इन दिनों शोधकर्ताओं को यूजीसी रेगुलेशन-2009 का प्रमाण पत्र बांट रहा है, ताकि उन्हें बीपीएससी की ओर से लेक्चरर बहाली के लिए बुलाये गये इंटरव्यू में भाग लेने का मौका मिल सके. वहीं दूसरी तरह इसके प्रावधानों की अनदेखी कर वह खुद मुसीबत में घिरता जा रहा है.
मामला आरक्षण रोस्टर से जुड़ा है. रेगुलेशन के तहत पीआरटी से पूर्व विवि प्रशासन को गाइड के आधार पर रिक्त सीटों की विषयवार सूची जारी करनी थी. इसमें राज्य सरकार के आरक्षण रोस्टर को भी लागू करना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
पीआरटी-2013 में अर्थशास्त्र विषय से परीक्षा देने वाले मदन कुमार ने इसे हाइकोर्ट में चुनौती दी है. बीते आठ दिसंबर को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी की बेंच ने इस मामले में विवि प्रशासन को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 19 जनवरी को होनी है.
पांच नंबर से हो गये थे फेल
पीआरटी-2013 में अर्थशास्त्र विषय की परीक्षा देने वाले मदन कुमार को पहले पेपर में 50 व दूसरे पेपर में 45 अंक आये थे. विवि नियम के तहत परीक्षा पास करने के लिए अभ्यर्थी को अलग-अलग पेपर में न्यूनतम 45 प्रतिशत व दोनों मिला कर 50 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य है. मदन पहली अहर्ता तो पूरा करता था, लेकिन दूसरी अहर्ता वह पूरा नहीं कर सका. इस आधार पर उसे फेल कर दिया गया. इसके बाद उसने बैकवर्ड क्लास (बीसी) से होने के आधार पर विवि से आरक्षण का लाभ मांगा. वह लगातार इसको लेकर कुलपति व परीक्षा नियंत्रक से मिले, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
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