विभागीय नियमों की अनदेखी या वर्चस्व की जंग! डीपीओ प्रकरण: -शिक्षा विभाग में स्थापना के पदभार को लेकर खींचतान -डीइओ व डीपीओ के बीच की रार खुलकर आई सतह पर -टकराव बढ़ाने में विभाग के दबंग बाबुओं का भी है हाथ संवाददाता, मुजफ्फरपुर शिक्षा विभाग में डीपीओ स्थापना के पदभार को लेकर शुरू हुआ विवाद विभागीय नियमों की अनदेखी का नतीजा भर है या फिर विभाग में वर्चस्व बनाये रखने की जंग, इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई है. विभाग में डीइओ व डीपीआे स्थापना के बीच दूरी की चर्चाएं भी अब खुलकर होने लगी है. आरडीडीइ विमला कुमारी ने डीपीओ स्थापना का पदभार नीता कुमारी पांडेय को देने संबंधी डीइओ के आदेश को चैलेंज किया है, जो डीएम के आदेश के क्रम में जारी किया गया है. आरडीडीइ का कहना है कि नियम के तहत पदभार बदलने संबंध आदेश का उनसे अनुमोदन कराना चाहिए था. वे विभाग के उस नियम का हवाला दे रही है, जिसमें कहा गया है कि दो साल के भीतर पदभार बदलने के लिए आरडीडीई से अनुमोदन लेना जरूरी है. वैसे तो डीइओ गणेश दत्त झा व डीपीओ स्थापना अवनिंद्र कुमार सिन्हा के बीच काफी दिनों से मनमुटाव की स्थिति थी, लेकिन कभी खुलकर मामला सामने नहीं आया. हां, कई बार विभागीय कार्यशैली को लेकर दोनों अधिकारी आमने-सामने जरूर नजर आये. जानकारों की माने तो इस विवाद में परदे के पीछे से विभाग के ही कुछ दबंग किस्म के बाबुओं का भी हाथ है. उन्हें कुछ शिक्षक नेताओं व जनप्रतिनिधियों का संरक्षण मिल रहा है, जिसके दम पर वे अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए विभाग का माहौल अशांत रखना चाहते हैं. विवाद के चलते विभाग के सारे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं. डीपीओ का निवेदन व मुख्य सचिव का निर्देश डीपीओ स्थापना के कार्यभार से खुद को मुक्त करने के लिए अवनिंद्र कुमार सिन्हा ने डीइओ को पहले ही पत्र लिखा था, जबकि नियोजन की खराब स्थिति पर मुख्य सचिव का आदेश भी कुछ ऐसा ही था. हुआ भी यही, लेकिन अब बखेड़ा खड़ा हो गया है क्योंकि दोनों के रास्ते अलग थे. दरअसल डीपीओ श्री सिन्हा ने अपने पत्र में विभागीय असहयोग के चलते नियोजन सहित अन्य प्राथमिकता वाले कार्य समय से निष्पादित कर पाने में असमर्थता जतायी थी. यह मामला आरडीडीइ विमला कुमारी के पास पहुंचा तो सात दिसंबर को डीइओ गणेश दत्त झा व डीपीओ अवनिंद्र कुमार सिन्हा को बुलाकर प्रतिवेदन पर सुनवाई की. सरकार के निर्देश के अनुसार, नियोजन सहित अन्य कार्य मिल-जुलकर समय से पूरा कराने को कहा. साथ ही दोनों पदाधिकारियों से प्रतिवेदन मांगते हुए यह भी भरोसा दिलाया कि कार्य पूरा करने में कोई दिक्कत हो तो उन्हें अवगत करायें. वहीं दूसरी तरफ मुख्य सचिव की वीसी में नियोजन की खराब स्थिति पर डीएम धर्मेंद्र सिंह से जवाब मांगा गया. साथ ही कार्रवाई को कहा गया, जिसके आधार पर डीएम ने डीपीओ स्थापना का प्रभार बदलने का निर्देश डीइओ को दिया. चार दफ्तरों में दिखा अजीब-सा माहौल डीपीओ स्थापना के पदभार को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद शिक्षा विभाग के चार दफ्तरों में शनिवार को अजीब-सा माहौल दिखा. क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, डीपीओ स्थापना व डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा व सर्व शिक्षा अभियान. इन दफ्तरों के सभी कर्मचारियों के जुबान बंद थे, लेकिन कुछ न कुछ उत्सुकता भी दिखी. हालांकि, स्थापना कार्यालय में किसी भी अधिकारी के नहीं पहुंचने के चलते असमंजस का माहौल बना रहा. चूंकि यह मामला सीधे-सीधे उच्चाधिकारियों का हाे गया है, इसलिए उनकी चुप्पी आसानी से समझ में भी आ गई. हालांकि अपने काम से आने वाले शिक्षक नेता कुछ न कुछ चुटकी जरूर ले रहे थे.
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विभागीय नियमों की अनदेखी या वर्चस्व की जंग! डीपीओ प्रकरण: -शिक्षा विभाग में स्थापना के पदभार को लेकर खींचतान -डीइओ व डीपीओ के बीच की रार खुलकर आई सतह पर -टकराव बढ़ाने में विभाग के दबंग बाबुओं का भी है हाथ संवाददाता, मुजफ्फरपुर शिक्षा विभाग में डीपीओ स्थापना के पदभार को लेकर शुरू हुआ विवाद […]
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