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रजिस्ट्रेशन डेट के फेर में विवि का सर्टिफिकेट होगा अमान्य!

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि प्रशासन पीएचडी कर चुके पांच दर्जन से अधिक शोधकर्ताओं को एक बार फिर यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत उपाधि हासिल करने का प्रमाण पत्र जारी करने जा रही है. इसका मकसद अभ्यर्थियों को बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से सहायक प्राचार्य के लिए लिये जाने वाले इंटरव्यू के योग्य बनाना […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि प्रशासन पीएचडी कर चुके पांच दर्जन से अधिक शोधकर्ताओं को एक बार फिर यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत उपाधि हासिल करने का प्रमाण पत्र जारी करने जा रही है. इसका मकसद अभ्यर्थियों को बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से सहायक प्राचार्य के लिए लिये जाने वाले इंटरव्यू के योग्य बनाना है.
इसके लिए फिलहाल ऐसे अभ्यर्थियों की सूची जारी की जा रही है, जिन्होंने जून 2012 या उसके बाद पंजीकृत होकर शोध पूरा कर लिया है. हालांकि विवि प्रशासन की ओर से पूर्व में की गयी एक चूक के कारण इस प्रमाण पत्र पर सवाल उठ सकता है.मामला पंजीयन तिथि को लेकर फंसा है. विवि प्रशासन ने वर्ष 2012 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके अनुसार विवि के पीएचडी कोर्स में एक जून 2012 से यूजीसी रेगुलेशन 2009 लागू होगा.

रेगुलेशन के तहत रजिस्ट्रेशन से पूर्व शोधार्थी को एक सेमेस्टर (छह माह) का कोर्स वर्क करना अनिवार्य है. 30 नवंबर 2013 को हुए एकेडमिक कौंसिल की बैठक में लिये गये फैसले के अनुसार विवि में पहला कोर्स वर्क जुलाई से दिसंबर 2013 तक चला. यानी रेगुलेशन के तहत शोधार्थियों का पंजीयन की तिथि दिसंबर 2013 या फिर उसके की होनी चाहिए. लेकिन विवि प्रशासन ने रेगुलेशन की अनदेखी कर फैसला लिया कि वर्ष 2012 में पीआरटी पास अभ्यर्थी जिन्होंने 30 मई या उससे पहले सिनॉप्सिस जमा किया है, उनकी पंजीयन तिथि एक जून 2012 मानी जायेगी. शेष लोग जिस तिथि को सिनॉप्सिस जमा करेंगे वहीं उनकी पंजीयन तिथि होगी. यानी विवि में यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत शोध के लिए पंजीकृत पहले शोधार्थी का पंजीयन पहला कोर्स वर्क खत्म होने से करीब डेढ़ साल पूर्व ही हो गया.

बीपीएससी का यह फैसला
वैसे उम्मीदवार जो विवि अनुदान आयोग द्वारा एमफिल/पीएचडी आदि के लिए गठित न्यूनतम मान प्रक्रिया विनिमय, 2009 के अनुसार पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने का दावा करते हों, उन्हें अपने विवि से उपरोक्त वर्णित प्रमाण पत्र प्राप्त कर मूल में दो स्वअभिप्रमाणित प्रति के साथ साक्षात्कार के समय प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा.
पहले भी प्रमाण पत्र हो चुका है अमान्य
बीपीएससी ने जब सहायक प्राचार्य के लिए विज्ञापन निकाला तो इसमें आवेदन की शर्त थी कि आवेदक या तो यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत पीएचडी कर चुका हो अथवा पीएचडी के साथ नेट/स्लेट/सेट की परीक्षा भी पास हो. इसके बाद विवि प्रशासन ने यूजीसी की दो बैठकों का हवाला देते हुए वर्ष 2009 से 2012 के बीच पंजीकृत सैकड़ों छात्रों को यूजीसी रेगुलेशन 2009 का प्रमाण पत्र जारी किया था. यह प्रमाण पत्र रेगुलेशन के ग्यारह में से छह मानक पूरा करने के आधार पर दिया गया. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यूजीसी के रेगुलेशन में किसी प्रकार की छूट को अमान्य करार दिया. इसके आधार पर विवि से जारी सभी प्रमाण पत्र अमान्य हो गये. यदि एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होता है तो विवि का नया प्रमाण पत्र भी अमान्य माना जायेगा. इससे पूर्व यूजीसी ने भी पब्लिक नोटिस जारी कर किसी भी छूट का फैसला लिये जाने से इनकार कर दिया.
बीपीएससी ने 2013 या उसके बाद पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया है. विवि की ओर से ऐसे ही छात्रों को प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. इसके लिए परीक्षा बोर्ड से बजाप्ते प्रारूप की मंजूरी ली गयी है. हमारी कोशिश है कि परिनियम व छात्र हित का पूरा ख्याल रखा जाये.
डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक

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