मुजफ्फरपुर: बीज के जेनेटिक (आनुवांशिक) जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. इस जांच के लिए बिहार में कोई लैब नहीं होने से बीज के गुणों का पता नहीं चल रहा है. बीज कंपनियों के मालिक, डीलर व कृषि विभाग के अधिकारियों के गंठजोड़ से किसान हर वर्ष ठगे जाते हैं. फिर किसानों के ठगे जाने का वक्त आ गया है. बीज कंपनियां मिलावटी बीज बेच कर चली जाती है.
किसान एक खेत में कई तरह के पौधे देख माथा पीट लेते हैं. लैब नहीं होने से बिहार से बाहर है. कृषि विभाग के अधिकारी इस वर्ष भी जेनेटिक जांच के लिए बीज को बाहर नहीं भेजा है. बीज से तैयार पौधों से बालियां निकलने के बाद मिलावटी बीज होने की जानकारी मिलती है. कृषि विभाग के अधिकारी आनुवंशिक जांच के संबंध में कुछ बताने से साफ परहेज कर रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी केके शर्मा बताते हैं कि यहां से केवल अंकुरण क्षमता जांच के लिए बीज का नमूना लिया जाता है. बिहार में कोई लैब नहीं है, जहां बीजों का जेनेटिक टेस्ट किया जा सके.
कांटी के किसान श्री मुरलीधर शर्मा बताते हैं कि आनुवंशिक जांच नहीं होने से बीज कंपनियां घटिया किस्म का बीज आपूर्ति करती है. अनुदानित बीज में इस तरह की शिकायत अक्सर आती है. बीजों के रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता नहीं चल पाता है. गुणवत्तापूर्ण बीज का दावा फेल कर जाता है. किसानों को अरबों रुपये का नुकसान हो जाता है. विभाग ऐसे कंपनियों की बीज बांटती है, जिसमें मुनाफा अधिक है. किसान नेता भोलानाथ झा बताते हैं कि किसानों को लुटने के लिए बीज कंपनियां, डीलर व कृषि विभाग के अधिकारियों में जबरदस्त गंठजोड़ है. 20 वर्षो से यह रैकेट चल रहा है. कंपनियां गेहूं, मक्का, धान, सब्जी, दलहन व तेलहन के बीज में लूट मचा रखी है. एक बार फिर लुटने का वक्त आ गया है. 90 प्रतिशत बीज मिलावटी बांटी जायेगी. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मिलावटी बीज बांट किसानों को ठगा जायेगा.