हालांकि इनमें से एक भी डिब्बा बनाने की रेलवे बोर्ड की ओर से लिखित अनुमति नहीं मिली है. अब बने हुए डिब्बों को रेलवे बोर्ड की अनुमति का इंतजार है. रेलवे बोर्ड की अनुमति के बगैर बने इन डिब्बों को लेकर भारत वैगन वर्कर्स यूनियन के कर्मचारी चिंतित हैं. उनका कहना है कि भारत वैगन के अधिकारी अपनी मरजी से भारत वैगन को चला रहे हैं. भारत वैगन के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस भाटिया की अनुमति मिलने के बाद भारत वैगन में डिब्बा बनना शुरू हुआ था.
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रेल बोर्ड की अनुमति बगैर बना दिये 12 डिब्बे
मुजफ्फरपुर : भारत वैगन को पिछले एक साल से रेलवे बोर्ड की ओर से कोई काम नहीं मिला है. बावजूद भारत वैगन में 12 डिब्बे बनाकर तैयार किया गया है. इनमें पांच डिब्बों में बस रंग पेंट करना है. बाकी सात डिब्बों का फरमा तैयार है. इनमें स्टील लगाना बचा हुआ है. हालांकि इनमें से […]
मुजफ्फरपुर : भारत वैगन को पिछले एक साल से रेलवे बोर्ड की ओर से कोई काम नहीं मिला है. बावजूद भारत वैगन में 12 डिब्बे बनाकर तैयार किया गया है. इनमें पांच डिब्बों में बस रंग पेंट करना है. बाकी सात डिब्बों का फरमा तैयार है. इनमें स्टील लगाना बचा हुआ है.
आरडीएसओ के डिजाइन के बगैर बनाये डिब्बे. रेलवे बोर्ड से भारत वैगन को अनुमति मिलने के बाद रेलवे की ओर से निरीक्षण किया जाता है. इसके बाद रेलवे की आरडीएसओ टीम भारत वैगन में आकर बन रहे डिब्बों का डिजाइन देखती है. इसके बाद जब तक भारत वैगन में डिब्बा बन रहा होता है, उस दौरान समय-समय पर आरडीएसओ आकर निरीक्षण करती है. लेकिन अभी जिन 12 डिब्बों का निर्माण हुआ है, उस दौरान न तो रेलवे बोर्ड की ओर से निरीक्षण किया गया है और न ही आरडीएसओ टीम द्बारा डिजाइन ही देखी गयी है.
रेलवे की ओर से सामग्री भेज दी थी . रेलवे की ओर से पिछले साल डिब्बा बनाने के लिए जो सामग्री भेजी गयी थी, उसमें अतिरिक्त सामग्री भी आ गयी थी. इसके बाद बजट पास होने के बाद 12 डिब्बों की सामग्री रेलवे की ओर से भेज दी गयी. लेकिन डिब्बा बनाने की अनुमति नहीं दी गयी थी. अतिरिक्त सामग्रियों को देखते हुए चेयरमैन आरएस भाटिया ने भारत वैगन को डिब्बा बनाने की अनुमति दे दी. इस कारण भारत वैगन के कर्मचारियों ने डिब्बों का निर्माण कर दिया.
डिब्बों की कीमत घटाने से बंद हुआ निर्माण. भारत वैगन की बंदी की वजह रेल डिब्बों की लागत बढ़ना है. सरकार ने रेल डिब्बों की कीमत को घटा दिया. 2013 में डिब्बे की कीमत 16.38 लाख थी, जो उसी साल 11.74 लाख हो गयी. ऐसे में भारत वैगन को घाटा होने लगा. 2013 के बाद से ही स्थिति डांवाडोल होने लगी. 2014 में काम का ऑर्डर मिला, जिसकी लागत 16 लाख आयी, लेकिन बिका 11.74 लाख में. इस साल सरकार ने डिब्बों की कीमत 10.80 कर दी. इस कारण भारत वैगन ने इतनी कम कीमत में डिब्बा बनाने से हाथ खड़े कर दिये.
वर्ष 2014-15 का जो बचा ऑर्डर था, उसे पूरा किया जा रहा है. 40 डिब्बों का जो ऑर्डर था, उसे भारत वैगन ने पूरा नहीं किया था. रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2014 में ही ऑर्डर दिया था.
आरएस भाटिया, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर भारत वैगन
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