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यूजीसी से अब सीधे विवि को नहीं मिलेगा अनुदान

मुजफ्फरपुर: अब विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) से विश्वविद्यालयों को सीधे अनुदान नहीं मिलेगा. यूजीसी से यह राशि स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल (एसएचइसी) के माध्यम से जारी होगी. एचएचइसी 15 दिनों के भीतर राशि विवि के बीच वितरित कर देगी. यूजीसी इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना से ही लागू करना चाहता है. यह देश भर में उच्च […]

मुजफ्फरपुर: अब विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) से विश्वविद्यालयों को सीधे अनुदान नहीं मिलेगा. यूजीसी से यह राशि स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल (एसएचइसी) के माध्यम से जारी होगी. एचएचइसी 15 दिनों के भीतर राशि विवि के बीच वितरित कर देगी. यूजीसी इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना से ही लागू करना चाहता है. यह देश भर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में विकास के लिए तैयार किये गये राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान (रूसा) के लिए ड्राफ्ट में भी शामिल किया जा चुका है. इसके लिए सभी राज्यों से सुझाव मांगा गया है.

इसलिए पड़ी जरूरत

वर्तमान में यूजीसी विवि को अनुदान की राशि सीधे उपलब्ध कराती है. इसमें कई विवि को शिकायत रहती है कि उन्हें सही समय पर राशि नहीं मिल पाती. कई जगह राशि के दुरुपयोग के मामले भी सामने आए हैं. इसे गंभीरता से लेते हुए व उच्च शिक्षा की गुणवत्ता कायम रखने के लिए यूजीसी सभी राज्यों में एसएचइसी के गठन का फैसला लिया है. फिलहाल बिहार में एसएचइसी का गठन नहीं हुआ है, लेकिन यूजीसी के इस निर्णय के बाद राज्य सरकार इस दिशा में कदम उठाने जा रही है.

होगी स्वायत्त इकाई

स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल पूरी तरह स्वायत्त इकाई होगी. यह विवि, नेशनल इंपलीमेंटिंग एजेंसी, राज्य की अनुदान प्रदाता परिषद व यूजीसी के साथ मिल कर काम करेगी. इसमें 12 से लेकर 25 सदस्य तक होंगे, जिसमें एक चेयरमैन (एकेडमिक व शिक्षाविद), प्रोफेसर रैंक का एक चीफ एक्जीक्यूटिव, एक स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर व शेष कला, विज्ञान, तकनीकी, शेष पेज 15 पर

यूजीसी से अब

संस्कृति, समाज व उद्योग क्षेत्र से जुड़े लोग होंगे. इसके अलावा इसमें पांच से दस विवि के कुलपति भी शामिल होंगे. चेयरमैन व चीफ एक्जीक्यूटिव की नियुक्ति तीन-तीन सदस्यों वाली सर्च कमेटी करेगी. काउंसिल के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होगा. इसकी बैठक हर तीन महीने में कम-से-कम एक बार होगी. इसमें चेयरमैन व चीफ एक्जीक्यूटीव के साथ तीन अन्य सदस्यों का होना अनिवार्य होगा.

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