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दुअरा पर पोखरी खनाएब, छठी मइया अइहे अंगना

दुअरा पर पोखरी खनाएब, छठी मइया अइहे अंगनाअधिकांश तालाब व पोखरो मे पानी नहींकैसे पड़ेगा सुर्य को अर्घ्य,घर के आसपास ही बनेगा छठ घाटकैप्सन-टेंगरारी के जलपरी घाट पर जलकुंभी व गंदगी का अंबारमीनापुर. कार्तिक का पावन महीना चढ़ते ही महान पर्व छठ की तैयारियां शुरू हो गयी है. छठ की कर्ण प्रिय गीत चहुंओर गुंजने […]

दुअरा पर पोखरी खनाएब, छठी मइया अइहे अंगनाअधिकांश तालाब व पोखरो मे पानी नहींकैसे पड़ेगा सुर्य को अर्घ्य,घर के आसपास ही बनेगा छठ घाटकैप्सन-टेंगरारी के जलपरी घाट पर जलकुंभी व गंदगी का अंबारमीनापुर. कार्तिक का पावन महीना चढ़ते ही महान पर्व छठ की तैयारियां शुरू हो गयी है. छठ की कर्ण प्रिय गीत चहुंओर गुंजने लगी है. छठ को लेकर गांव से लेकर बाजार तक उत्साह है. किंतु छठ पर्व कहा होगा,इसको लेकर लोगों मे अभी से ही चिंता सताने लगी है. प्रखंड के 98 पोखर व तलाबों मे अधिकांश मे पानी नही है. नदियों के किनारे या तो गंदगी का साम्राज्य है या वहां अर्घ्य देना खतरनाक है. टेंगरारी का जलपरी घाट उपेक्षा के शिकार है. यहां पर सैकड़ों छठव्रती अस्ताचल व उदयीमान सूर्य को प्रत्येक साल अर्घ्य अर्पित करते है. चालीस वर्षो से यहां भक्ति भाव से छठ पूजा होती है. किंतु जलपरी घाट पर जलकुंभी व खर पतवारों का सम्राज्य है. समाजिक कार्यकर्ता सुधीर डिसूजा बताते है कि प्रशासनिक स्तर पर यहां साफ-सफाई होना चाहिए. मुस्तफागंज सहित कई स्थानों पर पोखरों मे पानी है. पोखरों मे शौचालय का पानी भी बहाया जाता है. यहां तक की मुर्दों के कपड़े भी डाल दिये जाते है. गंजबाजार के दिनेश साह बताते है कि छठ पर्व मे पवित्रता के साथ सामान बनाया जाता है. घर के आसपास मे हीं पोखर बनाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जायेगा. गांधीनगर के देवनारायण राय बताते है कि नदी का पानी प्रदूषित हो चुका है. इसलिए घर के दरवाजे पर ही पोखर तैयार किया जायेगा. हरशेर व बहादुरपुर बूढ़ी गंडक में भी कई जगहों पर खतरनाक स्थिति है. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इसको लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

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