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स्थिर लग्न में करें माता लक्ष्मी की पूजा

स्थिर लग्न में करें माता लक्ष्मी की पूजादीवाली कल, तीन लग्न में बन रहा पूजा का योगवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : सुख व समृद्धि का पर्व दीवाली 11 को मनायी जायेगी. इसकी तैयारी घरों में शुरू हो गयी है. ज्योतिषाचार्य पं.रंजीत नारायण तिवारी के अनुसार दीवाली की पूजा स्थिर लग्न कुंभ, वृष, सिंह व गोधूलि में […]

स्थिर लग्न में करें माता लक्ष्मी की पूजादीवाली कल, तीन लग्न में बन रहा पूजा का योगवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : सुख व समृद्धि का पर्व दीवाली 11 को मनायी जायेगी. इसकी तैयारी घरों में शुरू हो गयी है. ज्योतिषाचार्य पं.रंजीत नारायण तिवारी के अनुसार दीवाली की पूजा स्थिर लग्न कुंभ, वृष, सिंह व गोधूलि में की जायेगी. ज्योतिष के अनुसार कुंभ लग्न दोपहर 12.50 से 2.20 तक, वृष लग्न शाम 5.27 से रात्रि 7.23 तक व सिंह रात्रि 11.55 से रात्रि 2.08 तक, गोधूलि शाम 4.19 से 5.25 तक है. इसी अवधि में पूजा की जानी चाहिए. इस काल में पूजा से लक्ष्मी तुरंत प्रसन्न हो जाती है व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. माता लक्ष्मी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार लेनी चाहिए. कुछ वस्तुएँ माता को विशेष प्रिय है. उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं. इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए. ऐसे करे माता की पूजाचौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे. लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहे. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखे. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.दो बड़े दीपक रखें. एक में घी भरें व दूसरे में तेल. एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में. इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें.मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं. गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं. ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं. इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी. सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक.इन थालियों के सामने यजमान बैठे. परिवार के सदस्य उनकी बाईं ओर बैठें. इसके बाद माता की पूजा शुरू करें. आज होगी यमदीप की पूजाआज घरों में यमदीप की पूजा की जायेगी. घरों से दीप यम के लिए निकाल कर रखा जायेगा. माना जाता है कि घरों से दीप निकाल कर रखने से दरिद्रता दूर होती है. परिवार में सुख समृद्धि आती है.

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