मुजफ्फरपुर: बीआरए विवि में ग्यारहवीं व बारहवीं पंचवर्षीय योजना के विकास मद के 3.26 करोड़ रुपये की राशि को बचाने की कवायद शुरू हो गयी है. यूजीसी ने 31 मार्च तक राशि को खर्च कर उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे जाने पर लैप्स घोषित कर दिया था. अब विवि प्रशासन यूजीसी से इस राशि को खर्च करने के लिए दो माह का अतिरिक्त समय मांगेगा. इसके लिए दुर्गा पूजा की छुट्टी व कुलपति पद को लेकर सस्पेंस को आधार बनाया जायेगा.
इस संबंध में इसी माह विकास अधिकारी नई दिल्ली स्थित यूजीसी के कार्यालय जाकर अधिकारियों से मिलेंगे. इसके लिए कुलपति डॉ रवि वर्मा ने हरी झंडी दे दी है.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत विवि को 1.43 करोड़ व बारहवीं पंचवर्षीय योजना के पहली किस्त के रूप में 1.83 करोड़ रुपये विकास मद में उपलब्ध कराये गये. इस राशि को विवि के विभिन्न विभागों के आंतरिक संसाधनों के विकास में खर्च करना था. राशि को खर्च कर उसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए 31 मार्च 2013 तक का समय निर्धारित किया गया.
खर्च के अधिकार पर विवाद
यूजीसी से राशि मिलने साथ ही विवि में इसके खर्च के अधिकार को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया. योजना व मूल्यांकन कमेटी ने उक्त राशि को खर्च करने का अधिकार तत्कालीन कुलपति डॉ कुमारेश प्रसाद सिंह को दे दिया.
इसका विभागाध्यक्षों ने विरोध करते हुए विवि विभागाध्यक्ष परिषद का गठन किया. परिषद ने विवि की ओर से मांगी गयी किताबों की लिस्ट देने से इनकार कर दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्यकारी कुलपति बने डॉ प्रसून कुमार ने विभागाध्यक्षों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की. इसमें राशि खर्च करने का अधिकार सभी विभागाध्यक्षों को देने का फैसला लिया गया. इसके बाद आठ विभागों ने किताबों की सूची विकास अधिकारी को उपलब्ध कराये. पर राशि खर्च किये जाने के अधिकार को लेकर विभागाध्यक्षों को कोई आधिकारिक पत्र नहीं भेजा गया. इसके कारण मामला लटक गया.