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पांच साल में 22 से बढ़कर 28 हुए बाघ

पांच साल में 22 से बढ़कर 28 हुए बाघ- वाल्मीकि नगर प्रोजेक्ट के तहत दिया जा रहा विशेष ध्यान संवाददाता, मुजफ्फरपुर पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है. बिहार के इकलौते वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में पांच सालाें में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ हैं. पांच साल में बाघों की संख्या 22 से बढ़कर 28 […]

पांच साल में 22 से बढ़कर 28 हुए बाघ- वाल्मीकि नगर प्रोजेक्ट के तहत दिया जा रहा विशेष ध्यान संवाददाता, मुजफ्फरपुर पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है. बिहार के इकलौते वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में पांच सालाें में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ हैं. पांच साल में बाघों की संख्या 22 से बढ़कर 28 हो गयी है. बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए अब उनकी एक-एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. कैमरा ट्रैप के जरिये बाघों की गिनती करने के बाद उनकी संख्या की जानकारी दी गयी है. अबतक उनके पांव के निशान के आधार पर उनकी गिनती की जाती रही है. राज्य सरकार के आकड़ों के अनुसार, बिहार 2010 में कुल 22 बाघ थे. पांच सालों में वाल्मीकि नगर टाइगर प्रोजेक्ट के लोगों ने उनके संरक्षण पर बेहद ध्यान दिया. इस बीच संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई और पांच सालों के बीच इनकी संख्या 22 से बढ़कर 28 हो गयी. इनमें शावकों की संख्या विभाग ने काउंट नहीं किये हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो अगर शावकों की संख्या जोड़ दी जाये, तो यह संख्या 32 से ज्यादा हो जाती है. वाल्मीकि नगर प्रोजेक्ट के क्षेत्रीय निदेशक आरके सिंह ने बताया कि टाइगर संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. यही वजह है कि अब उनकी गिनती कैमरा ट्रैप के जरिये की जा रही है. पहले बाघों के पांव के निशान के आधार पर गिनती होती थी. उसमें सही संख्या की जानकारी नहीं हो पाती थी. इससे शिकारी बाघ का शिकार भी आसानी से कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. शावकों की नहीं होती है गिनती वाल्मीकि नगर टाइगर प्रोजेक्ट के साथ पूरे भारत के किसी भी टाइगर प्रोजेक्ट में शावकों की संख्या काउंट नहीं होती है. एेसा इसलिए कि एक साल से डेढ़ साल के बीच में इन शावकों को बड़े बाघ मार डालते हैं. शावकों के दो साल पूरे होने पर उनकी संख्या बाघों में जोड़ी जाती है. क्षेत्रीय निदेशक आरके सिंह ने बताया कि कुछ माह पहले दो शावकों को बाघ ने मार डाला था. इसलिए उनकी संख्या नहीं जोड़ी जाती है.

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