मुजफ्फरपुर : थोड़ा-सा और जोर लगाओ, अभी नेताजी दूर हैं, सुन भी नहीं रहे होंगे. मंगलवार को दोपहर में एक प्रमुख उम्मीदवार नामांकन परचा दाखिल करके वापस लौटने लगे तो मुख्य द्वार पर खड़े उनके समर्थकों में जयकारा शुरू हो गया. नेताजी डीएम कार्यालय परिसर से निकलकर भारत माता मंदिर के सामने पहुंचे थे, तभी से समर्थकों ने टेंपो बनाना शुरू कर दिया. पहले धीरे-धीरे जिंदाबाद किया, फिर जब नेताजी करीब पहुंचे तो पूरी ताकत झोंक दी.
करीब आते-आते तो हद हो गयी. लगा, हर कोई चाहता हो कि उसकी ही आवाज नेताजी के कान तक पहुंचे. यह नजारा समाहरणालय के पास एक या दो बार नहीं, बल्कि बार-बार दिखा. हर बार नामांकन स्थल का मिजाज बदलता रहता है. अभी किसी दल का जयकारा लग रहा है, तो अगले ही पल दूसरे के समर्थक हावी हो जाते. समर्थकों का हुजूम लेकर नामांकन के लिए पहुंचने वाले उम्मीदवारों में एक तरह से अपना दबदबा दिखाने की भी होड़ रही. नेताजी भीड़ के साथ समाहरणालय तक पहुंचते हैं, लेकिन मुख्य द्वार पर ही भीड़ रोक दी जाती है. नेताजी राजनीतिक दल के हों या निर्दल, नियम के अनुसार नामांकन के लिए जरूरी प्रस्तावकों के साथ अंदर जाते हैं. तब उनके समर्थक कुछ देर इधर-उधर घूमकर तफरी करते हैं. उनके लिए चाय-नास्ते का भी इंतजाम रहता है. हां, कोई एक समर्थक मुख्य गेट पर टकटकी लगाये रहता है.
जैसे ही दूर से नेताजी की झलक दिखती है, खुसुर-फुसुर होने लगती है. कुछ ही देर में गेट के सामने भीड़ इकठ्ठा. पहले धीरे-धीरे, फिर जोर से नारेबाजी होती है. नेताजी के साथ ही उनके नेताजी का भी खूब जयकारा लगता है. फिर गेट से नेताजी निकलते हैं और उन्हें माला पहनाने के लिए होड़ लग जाती है. कुछ लोग धकिया कर भी नेताजी के करीब पहुंचने की जल्दबाजी में दिखते हैं.