23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चार साल में दो बार मरी ‘आभा’

मुजफ्फरपुर : सदर थाने के रतवारा गंडल कॉलोनी की ‘आभा’ की मौत चार वर्षाें में दो बार हुई. जी हां सुनने में यह अपको सुनकर अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह हम नहीं बल्कि सरकार व पुलिस के रिकार्ड बता रहे हैं. बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग के सांख्यिकी एवं मूल्याकंन निदेशालय द्वारी मृत्यु […]

मुजफ्फरपुर : सदर थाने के रतवारा गंडल कॉलोनी की ‘आभा’ की मौत चार वर्षाें में दो बार हुई. जी हां सुनने में यह अपको सुनकर अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह हम नहीं बल्कि सरकार व पुलिस के रिकार्ड बता रहे हैं. बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग के सांख्यिकी एवं मूल्याकंन निदेशालय द्वारी मृत्यु प्रमाण पत्र में आभा की मृत्यु 21 मार्च 2010 को बताई जा रही है.
अररिया जिले के भरगामा प्रखंड मुख्यालय ने इस मृत्यु प्रमाण पत्र को जारी किया है. आभा की दूसरी बार मौत पुलिस अपने जांच में वर्ष 2014 में अपनी रिपोर्ट में करती है. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस आभा की हत्या के आरोप में उसके ससुर दिनेश को जेल भेज देती है.
सिटी एसपी ने जांच में मामले को सत्य बताया. नगर आरक्षी अधीक्षक ने इस मामले की जांच की और आभा के दहेज हत्या के आरोप में अभियुक्तों की गिरफ्तारी का आदेश दिया. पुलिस ने ससुर दिनेश राय को दहेज हत्या के आरोप में जेल भेज दिया. दिनेश के जेल जाने के बाद उसके परिजनों को आभा के दूसरी बार मरने का एहसास हुआ. दिनेश राय के परिजन न्याय के लिए पुलिस कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.
इन्होंने की शिकायत. दिनेश राय के बेटे प्रशांत कुमार ने इस मामले की शिकायत करते हुए पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाये हैं. इनका कहना है कि जब तारा देवी अपने बेटी आभा देवी को 2014 में मरा मान रही है.
तो इनके बेटे उदय ने कैसे उनका मृत्यु प्रमाण पत्र 21 मार्च 2010 को बनवाकर उनकी जीवन बीमा की रकम को निकाल लिये. उनका नाम भी नामिनी में शामिल हैं. ऐसे में एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि तारा देवी ने झूठे मुकदमें में परिवार वालों को फंसाया है.
सदर थाना के रतवारा गंडक कॉलोनी निवासी तारा देवी ने न्यायालय में वाद दाखिल किया कि उनके पुत्री आभा कुमारी की शादी अररिया जिले के भरगावा निवासी ऋषि कुमार से 2009 में हुई थी.
शादी के छह साल बाद दहेज के लिए ऋषि कुमार, दिनेश राय, मंजू देवी, मुन्ना राय, सरिता देवी व आरती देवी बराबर मेरी बेटी को प्रताड़ित करते रहे हैं. इससे आजिज होकर आभा अपने मायके रतवारा गंडक कॉलोनी आकर रहने लगी थी. 30 नवंबर 2014 को उसके पति ऋषि कुमार राय अपनी दूसरी पत्नी आरती देवी के साथ पहुंचे और आभा को अपने साथ ले गये.
इसके बाद जब मेरा पुत्र उदय उसके घर मिलने गया तो वह नहीं मिली. तारा देवी के न्यायालय में दिये गये वाद के आधार पर सदर थाने ने छह जनवरी 2015 को ऋषि कुमार व उनके परिवार के विरुद्ध दहेज के लिए प्रताड़ित करने व लाश गायब करने का मामला दर्ज कराया.
2010 में ही मर चुकी थी आभा
आभा इससे पहले 2010 में ही ह्दय गति रुकने से मर चुकी थी. अररिया के भरगामा ब्लाक ने इसके लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया था. इसी मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर भाई उदय कुमार ने जीवन बीमा की रकम 56000 रुपये निकाल ली.
ऐसे में बहन की हत्या 2014 में होती है और रकम उनकी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर 2010 में कैसे निकाल ली जाती है? यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. इतना ही नहीं भाई उदय ने यह भी माना है कि मेरी बहन आभा की मौत 2010 में ह्दयगति रुकने से हुई थी.
जांच होगी तो खुलेगा राज
जिस तरह से घटना हुआ है. उससे मामले बेहद संवेदनशील हो चुका है. अगर मामले की जांच हो तो बड़े राज खुलने के उम्मीद है. क्योंकि जिस तरह विभा की मां ने आरोप लगाया है कि उससे यह साबित होता है कि विभा की मौत 2014 हो चुकी है, लेकिन उनके भाई द्वारा 2010 में मृत्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर जीवन बीमा के रकम को निकालना उनकी मौत पर ही सवाल खड़े कर दे रही है.
फिलहाल खेल कहा हुआ है यह तो मृत्यु प्रमाण पत्र के जांच और एलआईसी बीमा की जांच के बाद ही पता चल सकेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें