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केविवि भूमि अधिग्रहण का होगा सामाजिक आकलन
मोतिहारी: केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के लिए चिह्न्ति 301.97 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के पूर्व अब सामाजिक प्रभाव आकलन का पेच फंस गया है़ सामाजिक आकलन यानी भू-अजर्न/अधिग्रहण होनेवाली भूमि का अधिग्रहण के बाद क्या प्रभाव पड़ेगा़ कितने लोग इससे प्रभावित होंगे आदि बिंदुओं पर रिपोर्ट सरकार को भेजी जायेगी़ इसको गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी […]
मोतिहारी: केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के लिए चिह्न्ति 301.97 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के पूर्व अब सामाजिक प्रभाव आकलन का पेच फंस गया है़ सामाजिक आकलन यानी भू-अजर्न/अधिग्रहण होनेवाली भूमि का अधिग्रहण के बाद क्या प्रभाव पड़ेगा़ कितने लोग इससे प्रभावित होंगे आदि बिंदुओं पर रिपोर्ट सरकार को भेजी जायेगी़ इसको गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी जितेंद्र श्रीवास्तव ने अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान पटना को पत्र लिखा है ताकि केविवि के लिए अधिग्रहित होनेवाली भूमि का शीघ्र सामाजिक आकलन किया जा सक़े.
केविवि के लिए 20 नवंबर 2008 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधायक प्रमोद कुमार की मांग पर मोतिहारी अभियंत्रण महाविद्यालय के उद्घाटन के दौरान घोषणा की गयी थी़ तब से अब तक एक के बाद एक पेच फ ंस रही है संचालन को लेकर, जबकि इसके अन्य कार्य आरंभ होने की सूचना है़ इसके लिए केविवि निर्माण के लिए गठित संघ, जनप्रतिनिधियों के साथ से आंदोलन रंग लाया़.
समस्याएं दूर होती गयी़ केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह के नेतृत्व में अन्य भाजपा सांसदों की आवाज कारगर हुई और चिर-प्रतिक्षित मांग महात्मा गांधी के नाम पर केविवि को हरी झंडी मिली़ तीन अरब 86 करोड़ में दो अरब 76 करोड़ जिला भू-अजर्न कार्यालय को मिले, लेकिन अधिग्रहण नियमावली के अनुपालन में अब तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ न हो सकी है़.
बेतिया राज व चीनी मिल की भी जमीन
केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए चिह्न्ति भूमि में अधिकांश बेतिया राज व चीनी मिल की है़ नयी लीज नीति के तहत विभाग रैयतों से सहमति लेने के बाद निर्धारित दर से अधिक राशि देकर सामाजिक अंकेक्षण के बाद विभाग भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई करेगी़ अगर चिह्न्ति भूमि पर पेड, मकान आदि है तो उसकी भी राशि दी जा सकती है़ विभाग के अनुसार बेतिया राज की भूमि अधिग्रहण के लिए बोर्ड ऑफ रेवन्यू की सहमति ली जा सकती है़/
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