वे यहां अपने भांजे वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशीन्द्र किजल्क से मिलने आये हैं. परमानंद कहते हैं कि उनमें हमेशा कुछ नया करने की ललक थी. इसी वजह से रिटायरमेंट के दस साल बाद मैंने एम टेक में एडमिशन लिया. टेनिसी यूनिवर्सिटी ने डिग्री देते समय इनका पूरा बायो-डाटा लिया और उसे डिग्री के साथ अपने जनरल में प्रकाशित किया, जिससे युवा के साथ बुजुर्ग भी इनसे प्रेरणा ले सकें.
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80 की उम्र में परमानंद ने किया एमटेक
मुजफ्फरपुर: समस्तीपुर के रहनेवाले इंजीनियर परमानंद प्रसाद ने 80 साल की उम्र में एमटेक की पढ़ाई की है. अमेरिकी स्पेश एजेंसी नासा से बतौर इंजीनियर 1997 में रिटायर होनेवाले परमानंद ने 2014 में एम टेक की पढ़ाई पूरी की. परमानंद अभी बिहार में अपने सगे संबंधियों से मिलने के क्रम में मुजफ्फरपुर में हैं. वे […]
मुजफ्फरपुर: समस्तीपुर के रहनेवाले इंजीनियर परमानंद प्रसाद ने 80 साल की उम्र में एमटेक की पढ़ाई की है. अमेरिकी स्पेश एजेंसी नासा से बतौर इंजीनियर 1997 में रिटायर होनेवाले परमानंद ने 2014 में एम टेक की पढ़ाई पूरी की. परमानंद अभी बिहार में अपने सगे संबंधियों से मिलने के क्रम में मुजफ्फरपुर में हैं.
परमानंद ने 1970 में बतौर इंजीनियर काम शुरू किया. उसी साल स्काइलैब को अंतरिक्ष में भेजा जाना था. इसके लिए परमानंद ने टेलीस्कोपिक कैमरा डिजाइन किया था, जिसनें विभिन्न एंगिल से सूर्य के एक्स-रे लिये. टेलीस्कोपिक कैमरा बनाने के लिए परमानंद को उस समय नासा ने सम्मानित भी किया था. इसके बाद वो लगातार काम करते रहे. 1997 में नासा से रिटायर हुये.
परमानंद कहते हैं कि रिटायर होने के बाद टेनेसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. यहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ एनर्जी के वैकल्पिक स्नेत को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया. अपने रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि एनर्जी का स्नेत सिर्फ सूर्य ही नहीं है. हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के मिश्रण से ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे सारे काम किये जा सकते हैं. एम टेक की पढ़ाई के साथ परमानंद ने अपना रिसर्च भी पूरा किया, जिसे यूनिवर्सिटी ने मंजूर कर लिया. अमेरिकी नागरिकता ग्रहण कर चुके परमानंद के प्रस्ताव को अमेरिका के टेनिसी यूनिवर्सिटी की मंजूरी मिल जाती है, तो अमेरिका में बिना पेट्रोल वाहन चलेंगे. इसके अलावा बहुत सारे कार्यो के लिए इलेक्ट्रिक एनर्जी की जरूरत समाप्त हो जायेगी. फिलहाल अमेरिका में चलने वाले भारी ट्रकों के लिए वैकल्पिक एनर्जी का उपयोग किया जायेगा. परमानंद प्रसाद ने वैकल्पिक ऊर्जा के लिए हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के संयुक्त मिश्रण से उत्पन्न होने वाले एनर्जी का उपयोग करने पर रिसर्च किया था. इसके लिए उन्होंने ट्रकों का मॉडल व कार्य करने के तरीकों के बारे में टेनिसी यूनिवर्सिटी को रिसर्च सौंपा है. जिसमें ट्रक ड्राइवरों की आवश्यकता का भी ध्यान रखा गया है.
होंगे हाइड्रोजन पंप. परमानंद ने रिसर्च में पाया कि ट्रकों में ईधन से 1800 वाट उत्पन्न किया जाता है. यहां भारी ट्रकों में ड्राइवर के लिए पीछे केबिन भी होता है. जिसमें टीवी, फ्रिज सहित सभी तरह की सुविधाएं होती है. ड्राइवर ट्रक रोक कर इसमें आराम करते हैं. यह ऊर्जा भी पेट्रोल की खपत से होती है. इसलिए उन्होंने हाइड्रोजन व ऑक्सीन के मिश्रण से एनर्जी उत्पन्न करने पर रिसर्च किया था. जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये. इसके बाद इन्होंने ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए ट्रकों का डिजाइन किया. प्रत्येक ट्रकों में हाइड्रोजन सिलेंडर ऑक्सीजन के लिए वातावरण से हवा ग्रहण करने के लिए एयर पंप रखने की व्यवस्था की गयी. ट्रकों में हाइड्रोजन भरने के लिए हाइड्रोजन पंप बनाने की बात कही गयी है. इन दोनों के इसके मिश्रण से उत्पन्न होने वाली एनर्जी को एक बैट्री में सुरक्षित किया जायेगा. जिससे ट्रक सहित अन्य वाहनों को एनर्जी मिलेगी. मिश्रण के बाद इसका आउटपुट पानी बनेगा.
भारतीय संस्कृति नहीं भूले . अमेरिकी नागरिक हो कर भी सरायरंजन स्थित धरहो गांव का पुस्तैनी मकान नहीं भूले हैं. लंबे समय के बाद वे अपने गांव परिजनों से मिलने पहुंचे. इसके बाद रविवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे. बीबीगंज स्थित डॉ निशींद्र किंजल्क के यहां रुके. उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की डिग्री 1961 में दयालबाग स्थित आगरा इंजीनियरिंग कॉलेज से ली थी. पढ़ाई के दौरान मुजफ्फरपुर के भारत वैगन में इंटर्नशिप करने आये थे. पढ़ाई पूरी होने के बाद रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन में नौकरी शुरू की. उन्होंने यहां 1962 से 1969 तक रहे. अमेरिकी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद वो वहां गये थे. इसके बाद वहीं पर रहे.
बनाया था सौर रिक्शा . परमानंद ने भारत के लिए सौर उर्जा से चलने वाले रिक्शा का भी डिजायन किया था. 1995 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद वाशिंगटन आये थे. मुलाकात के क्रम में मैंने उन्हें रिक्शा का डिजायन सौंपा था. उन्होंने कहा था कि इस पर काम करेंगे. लेकिन यहां कुछ भी नहीं हुआ.
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