फोटो दीपक, पर्यावरण दिवस पैकेजसंवाददाता, मुजफ्फरपुरप्रकृति मां है और आज वह तबाह हो रही है. इसका कारण सिर्फ इंसान है. हम अपने स्वार्थ में अंधे हो गये है और सारी तबाही देखकर भी खामोश है. गलियां है पर पेड़ नहीं, सड़के है पर पेड़ नहीं, सूखा है क्योंकि पेड़ नहीं, मानसून नहीं है क्योंकि पेड़ नहीं, इंसान नहीं है क्योंकि पेड़ नहीं. उक्त बातें शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस आमगोला स्थित सुख शांति भवन में आयोजित संगोष्ठी में सुश्री अनुगुंजा ने कही. संगोष्ठी में बीके जलेश्वर प्रसाद ने कहा कि विश्व की समस्त समस्याओं का कारण स्वयं मनुष्क है. मनुष्य की विचार-धारा सुनियोजित हो तो वह प्रकृति का अंधाधुंध दोहन नहीं करेगा. आज विश्व को सुरक्षित बनाना है तो मन के नाम प्रेशन को श्रेष्ठ बनाना होगा. नकारात्मक विचार, क्रोध वातावरण में ताप को बढ़ाता है. कहा जाता है कि क्रोधी के घर के पानी का मटका सूख जाता है. मन के विचारों का प्रकृति पर सीधा संबंध है. वहीं बीके सविता ने मेडिटेशन का अभ्यास कराया. मौके पर डॉ जेपी सिंह, डॉ एनके पी सिंह, डॉ महानंद सिंह, नागेंद्र नाथ ओझा, रणवीर अभिमन्यु, बीबी सिन्हा ने अपने विचार व्यक्त किये. मंच संचालन एचएल गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन डॉ फणीश ने किया.
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फोटो :: प्रकृति मां है आज वह तबाह हो रही है
फोटो दीपक, पर्यावरण दिवस पैकेजसंवाददाता, मुजफ्फरपुरप्रकृति मां है और आज वह तबाह हो रही है. इसका कारण सिर्फ इंसान है. हम अपने स्वार्थ में अंधे हो गये है और सारी तबाही देखकर भी खामोश है. गलियां है पर पेड़ नहीं, सड़के है पर पेड़ नहीं, सूखा है क्योंकि पेड़ नहीं, मानसून नहीं है क्योंकि पेड़ […]
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