मुजफ्फरपुर: डायबिटीज की रोकथाम के लिए गुरुवार को स्टेट हेल्थ सोसायटी व नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीरो माइल स्थित गायत्री होटल में कार्यशाला का आयोजन हुआ. इस मौके पर शहर व बाहर से आये डॉक्टरों ने रोग के उपचार पर विस्तार से चर्चा की. कार्यक्रम का शुभारंभ सूर्यमणि जेना ने लोगों की जागरूकता को जरूरी बताते हुए प्रोजेक्ट पर चर्चा की.
उन्होंने कहा कि सूबे के 20 जिलों में 41 प्राइमरी सेंटर फॉर डायबिटीज का शुभारंभ किया जाना है. इसका उद्देश्य बिहार में डायबिटीज के प्रति लोगों में जागरूकता लानी है. साथ ही इस बीमारी से पीड़ित लोगों के जीवन शैली में बदलाव लाना है, जिससे वे अपने जीवन का निर्वाह कर सके. उन्होंने कहा कि प्राइमरी सेंटर में डायबिटीज की जांच की जायेगी. जांच में जो नये रोगी मिलेंगे, उनके नाम से आइडी बनाया जायेगा.
डॉ आनंद शेखर ने डायबिटीज का वर्गीकरण व इलाज के प्रमुख चरणों को बताया. इसके बाद इंसुलिन थेरेपी के बारे में बताया गया. डॉ सुभाष कुमार ने क्रोनिक डायबिटीज की समस्याओं पर प्रकाश डाला. प्रोजेक्ट मैनेजर सूर्यमणि ने कहा कि 20 वर्ष से अधिक उम्र के दो लाख लोगों की जांच में 11.6 फीसदी लोग डायबिटीज से पीड़ित पाये गये. जबकि 15 फीसदी लोग डायबिटीज के खतरे के करीब थे. डॉक्टरों का कहना था कि बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है. कार्यशाला में डॉ एके गुप्ता, डॉ समीर जारगर सहित कई डॉक्टर मौजूद थे.