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नहीं मिलेगी मदद: लीची की बरबादी प्राकृतिक आपदा नहीं

मुजफ्फरपुर: पिल्लू व फंगस से बरबाद लीची का सव्रे नहीं होगा. इससे कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़ा कर दिया है. अधिकारियों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया है, यह बरबादी प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए सव्रेक्षण व नुकसान की भरपाई का सवाल ही नहीं है. यहां […]

मुजफ्फरपुर: पिल्लू व फंगस से बरबाद लीची का सव्रे नहीं होगा. इससे कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़ा कर दिया है. अधिकारियों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया है, यह बरबादी प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए सव्रेक्षण व नुकसान की भरपाई का सवाल ही नहीं है. यहां तक कि उद्यान व कृषि निदेशक को रिपोर्ट भी नहीं भेजी जायेगी. वहीं, लीची की फसल गंवानेवाले किसानों का कहना है कि सरकारी नीति जले में नमक छिड़कनेवाली है. इसे बदला जाना चाहिए.
जिला सहकारिता संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र राय ने कहा, पिल्लू व फंगस से आम व लीची किसानों का बहुत बड़ा नुकसान है. सरकार को सव्रे व मुआवजा की नीति बनानी चाहिए. आंदोलन के लिए किसानों को एकजुट करेंगे. इंश्योरेंस कंपनियों की नीतियों के कारण दोनों फसलों का बीमा भी नहीं होता है. सरकारों की गलत नीतियों ने किसानों को बरबाद कर दिया है. जिले में 16 सौ हेक्टेयर में लीची की खेती होती है. शुरू से खराब मौसम व बेमौसम बारिश से जूझ रही लीची पर पकने के समय स्टोन बोरर व फंगस ने हमला कर दिया. शाही लीची में पिल्लू हो जाने के कारण बागों में ही गिरने लगी. फिर, रही सही कसर चाइना लीची पर फंगस ने पूरा कर दिया. फंगस लगने से लीची गलने लगी. यह भी खाने लायक नहीं रह गयी. किसानों ने बागों में ही लीची को छोड़ देना बेहतर समझा, क्योंकि मार्केट में भी खराब लीची का कोई भाव नहीं है.
जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि खराब मौसम के कारण लीची बरबाद हो गयी है. पिल्लू व फंगस हो जाने के कारण खाने लायक नहीं रह गयी है. 60 प्रतिशत लीची बरबाद हो गयी है. कीड़ा काफी तेजी से लीची को बरबाद कर रहा है. यह सब खराब मौसम, पुरवा हवा व मौसम में नमी के कारण हुआ है, लेकिन इसका सव्रेक्षण नहीं होगा, क्योंकि कीड़ा व फंगस से लीची की बरबादी प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए सव्रेक्षण व मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है.
सहायक निदेशक उद्यान राधेश्याम बताते हैं कि आंधी-तूफान में अगर लीची बरबाद होती तो सव्रेक्षण हो सकता था, लेकिन इसे फंगस व पिल्लू ने बरबाद कर दिया है. इसलिए लीची के सव्रेक्षण का सवाल ही नहीं उठता है. लीची काफी बरबाद हुई है. छिलका हटाते ही पिल्लू दिख जाता है. किसानों के साथ बड़ा संकट है, लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है.

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