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लोगों में हो सिविक सेंस, तभी शहर होगा स्मार्ट : डॉ ममता रानी

अपना शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. यह अत्यंत हर्ष की बात है. स्मार्ट सिटी होने से शहर में सुविधाएं बढ़ेंगी. नौकरी के अवसर पैदा होंगे. जीवन स्तर ऊंचा होगा. परंतु लाख टके का सवाल यह है कि क्या हमारा शहर स्मार्ट रह पायेगा? क्या हम नालियों में कचरा, प्लास्टिक डाला, दीवारों पर पीक […]

अपना शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. यह अत्यंत हर्ष की बात है. स्मार्ट सिटी होने से शहर में सुविधाएं बढ़ेंगी. नौकरी के अवसर पैदा होंगे. जीवन स्तर ऊंचा होगा. परंतु लाख टके का सवाल यह है कि क्या हमारा शहर स्मार्ट रह पायेगा? क्या हम नालियों में कचरा, प्लास्टिक डाला, दीवारों पर पीक की पच्चकारी करना, ट्रैफिक नियमों को तोड़ने में अपना शन समाझना, अपना घर बनाने के लिए रास्ते पर बालू-गिट्टी गिरा कर मार्ग अवरुद्ध करना, हुकिंग करने बिजली की चोरी करना, यत्र-तत्र सड़कों पर कूड़ा डालना, सरकारी जमीन व सड़कों का अतिक्रमण करना, नो इंट्री में जबरदस्ती घुसना छोड़ पायेंगे? जब तक नागरिकों में सिविक सेंस नहीं होगा, जब तक ऐसी किसी कवायद का कोई असर नहीं होने वाला. सरकार सुविधा तो देगी, योजनाएं पूरी करेगी. पर जब तक हम नहीं सुधरेंगे, हमारा शहर तब तक स्मार्ट नहीं बनेगा. पार्क यहां अभी हैं, पर वह आइसक्रीम की प्लेटों, चॉकलेट की पन्नी, चिप्स के रैपर से अटे पड़े हैं. क्या यह सरकार करती है? इसे साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी किसकी है! जब तक इस जिम्मेदारी का अहसास नहीं होगा, तब तक हमारा शहर स्मार्ट नहीं हो पायेगा. कोई चीज पा लेने में श्रेय नहीं है. श्रेय होता है उसे बरकरार रखने में और इसके लिए हर एक शहरवासी को तत्पर रहना होगा. जैसा कि दिल्ली, मुंबई जैसे नगरों में होता है. इसके बाद ही स्मार्ट सिटी का सपना पूरा होगा और हम बेहतर शहर आने वाली पीढ़ी को सौंप सकेंगे.

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