महेश कुमार का परिवार मुजफ्फरपुर. पत्नी और बच्चों के साथ पिछले दो दिनों से सड़क पर घूम कर रात काट रहे हैं. परिचित लोगों से संपर्क कर भूकंप के झटके तो नहीं आयेंगे, इसकी जानकारी मोबाइल फोन से लेते रहते हैं. बच्चों का स्कूल जाना तक बंद करा दिये हैं. यह दास्तान व्यवसायी महेश सुलतानिया सुना रहे हैं. पत्नी श्वेता कहती हैं कि ऐसा मंजर कभी नहीं देखा था. अपना घर होते हुए भी सड़कों की धूल फांक रहे हैं. कब घर आना और कब घर से बाहर जाना है, यह तय नहीं होता है. दस साल का आयुष भूकंप की बात पर कहता है कि धरती हिलने पर सब लोग भागते हैं. सड़क किनारे चादर पर सोते हैं. छह साल की कोमल कहती है कि भूकंप को लेकर सड़क पर ही रह रहे हैं. सोने के बाद भूकंप आता है तो मम्मी गोद में लेकर भागती है. स्कूल का होम वर्क भी नहीं बनाये हैं. स्कूल कब जायेंगे, इसका पता नहीं है.
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सड़कों पर धूम कर बिता रहे रात
महेश कुमार का परिवार मुजफ्फरपुर. पत्नी और बच्चों के साथ पिछले दो दिनों से सड़क पर घूम कर रात काट रहे हैं. परिचित लोगों से संपर्क कर भूकंप के झटके तो नहीं आयेंगे, इसकी जानकारी मोबाइल फोन से लेते रहते हैं. बच्चों का स्कूल जाना तक बंद करा दिये हैं. यह दास्तान व्यवसायी महेश सुलतानिया […]
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