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जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग : एसएन झा

मुजफ्फरपुर: भारतीय संविधान के मूल में समानता का अधिकार है. यह देश के एकता व अखंडता को जोड़ता है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. फिर यहां असमानता की बात क्यों की जाती है? क्या देश के दूसरे हिस्से के लोगों को यह अधिकार नहीं कि वे जम्मू-कश्मीर में नौकरी तलाश सकें, घर बना सकें […]

मुजफ्फरपुर: भारतीय संविधान के मूल में समानता का अधिकार है. यह देश के एकता व अखंडता को जोड़ता है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. फिर यहां असमानता की बात क्यों की जाती है? क्या देश के दूसरे हिस्से के लोगों को यह अधिकार नहीं कि वे जम्मू-कश्मीर में नौकरी तलाश सकें, घर बना सकें या फिर चुनाव लड़ सकें? यह एक ऐसा मसला है जिस पर गंभीर बहस की जरूरत है.
ये बातें जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन झा ने कहीं. वे गुरुवार को श्रीकृष्ण जुबली लॉ कॉलेज में ‘जम्मू-कश्मीर : तथ्य एवं भ्रांतियां’ विषयक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के प्राचीन इतिहास से लेकर आजादी तक अवलोकन किया जाये तो वहां कोई समस्या नजर नहीं आती, बल्कि चमत्कार दिखाई देता है. इसके विलय के समय कोई समस्या नहीं थी. 1947 में जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब लोगों को विकल्प दिया गया. यह विकल्प पॉलिटिकल था. तत्कालीन राजनीतिक परिस्थिति के कारण जो फैसले लिये गये, उसका प्रभाव आज भी जम्मू-कश्मीर पर पड़ रहा है. आज का मसला पूरा का पूरा पॉलिटिकल है. इसका वैधानिक पहलू भी है. लेकिन जब भी कानून की बात आती है तो बकायदा वह सीमित हो जाती है.
उन्होंने कहा, भारत का संविधान मानना जम्मू-कश्मीर के लिए अनिवार्य नहीं था, क्योंकि वहां का अपना संविधान था. आज की परिस्थिति ऐसी हो चुकी है कि जब भी जम्मू-कश्मीर और धारा 370 की बात की चर्चा होती है कि बहस छिड़ जाती है और मुद्दे दब जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के मसले का समाधान तभी हो सकता है, जब पूरी तैयारी के साथ एक इश्यू को लेकर आगे बढ़ा जा सकेगा.
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, नयी दिल्ली के निदेशक अरुण कुमार ने परिचर्चा के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. विषय प्रवेश के दौरान गिरीश गौरव ने कहा कि देश के 562 राजवाड़ों के विलय के आधार पर ही जम्मू-कश्मीर रियासत का विलय हुआ था. लेकिन बाद में परिस्थितियां बदलती चली गयीं.
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, मुजफ्फरपुर और लॉ कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेंद्र कृषि विवि, पूसा के पूर्व कुलपति डॉ गोपालजी त्रिवेदी ने किया. वहीं स्वागत लॉ कॉलेज के प्राचार्य जयंत कुमार और संचालन एसएनएस कॉलेज के प्राध्यापक डॉ राकेश कुमार मिश्र ने किया.

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