मुजफ्फरपुर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अंतर्गत 2012 में महिलाओं के यूट्रस ऑपरेशन में हुए खेल की कलई फिर खुलने लगी है. सीएस की रिपोर्ट पर ही सवाल उठने लगा है. बीमा योजना अंतर्गत जिन अस्पतालों में यूट्रस ऑपरेशन में घोटाले की बात सामने आयी, उसकी जांच रिपोर्ट में ही विरोधाभास है. एक ही महिला की […]
मुजफ्फरपुर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अंतर्गत 2012 में महिलाओं के यूट्रस ऑपरेशन में हुए खेल की कलई फिर खुलने लगी है. सीएस की रिपोर्ट पर ही सवाल उठने लगा है. बीमा योजना अंतर्गत जिन अस्पतालों में यूट्रस ऑपरेशन में घोटाले की बात सामने आयी, उसकी जांच रिपोर्ट में ही विरोधाभास है.
एक ही महिला की दो अलग- अलग रिपोर्ट तैयार की गयी है. पहली रिपोर्ट में यूट्रस ऑपरेशन की पुष्टि की गयी है. वहीं उसी महिला की दूसरी रिपोर्ट में नाम बदलकर ऑपरेशन नहीं होने का सर्टिफिकेट दे दिया गया है. कई महिलाओं के ऑपरेशन नहीं होने की बात कही गयी है.
जबकि अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार महिला का ऑपरेशन हुआ है. जांच रिपोर्ट भी आधा – अधूरा है. यह मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच चुका है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने खुद संज्ञान लेते हुए अब तक दोषी अस्पताल प्रबंधकों पर कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जतायी है.
वरीय उपसमाहर्ता सह राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के डीकेएम संजय कुमार राय ने सिविल सजर्न ज्ञान भूषण को पत्र लिख कर यूट्रस मामले की फिर से जांच कर दोषी पर कार्रवाई करने को कहा है. श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के पत्र का हवाला देते हुए बताया है कि दो साल के बाद भी रिपोर्ट नहीं देने पर प्रधान सचिव ने जिला प्रशासन पर कड़ी टिपण्ी की है.
पूर्व डीएम संतोष मल्ल ने किया था खारिज
यूट्रस ऑपरेशन के जांच रिपोर्ट को तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष कुमार मल्ल ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जांच किये गये मरीजों की संख्या कम है. इससे जांच को प्रमाणिक नहीं कहा जा सकता है. डीएम ने फिर से जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश सिविल सजर्न को दिया था, लेकिन कई रिमाइंडर के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी गयी. इस वजह से सरकार को भी रिपोर्ट नहीं भेजी गयी. अब मानवधिकार आयोग के नकेल कसने पर श्रम विभाग ने मामले मे कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. इधर, आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई तो संबंधित अधिकारी को सदेह आयोग के समक्ष उपस्थित होना होगा.