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तीन इंजीनियरों समेत पांच पर चार्जशीट

मुजफ्फरपुर: रेल पटरियों के रख-रखाव में कमी की वजह से माड़ीपुर रेलवे ओबरब्रिज हादसा हुआ था. इससे संबंधित जांच रिपोर्ट आ गयी है. जांच में तत्कालीन मंडल सहायक अभियंता दक्षिणी आशीष कुमार सहित पांच रेलकर्मियों को दोषी पाया गया है. पांचों रेलकर्मी अभी जमानत पर हैं. रेलवे में हादसे की वजह का प्रभात खबर की […]

मुजफ्फरपुर: रेल पटरियों के रख-रखाव में कमी की वजह से माड़ीपुर रेलवे ओबरब्रिज हादसा हुआ था. इससे संबंधित जांच रिपोर्ट आ गयी है. जांच में तत्कालीन मंडल सहायक अभियंता दक्षिणी आशीष कुमार सहित पांच रेलकर्मियों को दोषी पाया गया है. पांचों रेलकर्मी अभी जमानत पर हैं. रेलवे में हादसे की वजह का प्रभात खबर की ओर से घटना के अगले दिन 28 नवंबर को खुलासा किया गया था, लेकिन उस समय किसी अधिकारी ने इस पर बोलने के इनकार कर दिया था.
अब जांच रिपोर्ट में वही बात सामने आयी है. हादसे को लेकर यात्री सुशील कुमार वर्मा के बयान पर जीआरपी थाने के दर्ज प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसकी जांच थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने की.
27 नवंबर 2013 को माड़ीपुर रेल ओवरब्रिज मालगाड़ी से पटरी से उतरने की वजह से गिर गया था. इसकी जांच पूर्वी जोन के सीआरएस सुदर्शन नायक ने की थी. जांच में दुर्घटना का कारण के लिए ट्रैक के रख रखाव में कमी को बताया गया है. सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में पूरी तरह से पी वे मैनेटनेंस संगठन मुजफ्फरपुर को जिम्मेवार बताया. इधर, सीआरएस के जांच रिपोर्ट को आधार मान कर जीआरपी थाने में दर्ज कांड संख्या 91/13 का अनुसंधान किया गया. जांच में लाइन की गड़बड़ी सामने आयी, जिस जगह पर मालगाड़ी का चक्का गिरा है, वहां पर दोनों पटरी के बीच की दूरी में पांच एमएम से ज्यादा का अंतर पाया गया था .
घटना के तुरंत बाद प्वाइंटऑफ ड्रॉप की नापी की गयी थी. प्रारंभिक जांच के दौरान ही पीडबल्यूआइ विभाग की लापरवाही सामने आ गयी थी, हालांकि इस मसले पर घटना के समय किसी भी अधिकारी ने मुंह नहीं खोला था. इन पांचों रेल कर्मी को ट्रैक के रख-रखाव का जिम्मेवार मानते हुए 28 फरवरी 2015 को कोर्ट में चाजर्शीट (संख्या 13/15) दाखिल किया गया है. फिलहाल यह मामला कोर्ट में लंबित है.
इन धाराओं में चार्जशीट: धारा 287, 279, 337, 338, 427, 119,34 भा.द.वि., 175 रेलवे अधिनियम
एक दर्जन हुये थे जख्मी माड़ीपुर रेल हादसे में जान का नुकसान तो नहीं हुआ था, लेकिन लगभग एक दर्जन लोग जख्मी जरूर हुये थे, क्योंकि जिस समय हादसा हुआ था. उस समय पुल के ऊपर से लोग गुजर रहे थे. हादसे की चपेट में एक टेंपो भी आया था, लेकिन उसमें सवार कुछ लोग जख्मी हुये थे. इसके अलावा ब्रिज के ऊपर फल की दुकान लगानेवाले लोग जख्मी हुये थे. पुल के मलबे की वजह से मालगाड़ी की पांच बोगियां क्षतिग्रस्त हुई थीं.
30 घंटे बाद शुरू हुआ था परिचालन
माड़ीपुर हादसे से रेलवे को करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ था. घटना के लगभग तीस घंटे के बाद ट्रेनों का परिचालन शुरू हो पाया था. रेलवे जीएम व डीआरएम ने कैंप करके परिचालन शुरू करवाया था.
कैरेज को क्लीन चिट
सीआरएस की जांच रिपोर्ट में कैरेज एंड वैगन विभाग को क्लीन चिट दिया गया है. घटना के पूरी तरह से ट्रैक के रख-रखाव में कमी को जिम्मेवार माना गया है. दोनों पटरी के बीच बढ़ी दूरी से मालीगाड़ी का चक्का उतरा था. चक्का उतरने के बाद मालगाड़ी आरओबी से जा टकरायी थी. टक्कर लगने से पिलर गर्म हुआ . इससे पुल चरमरा कर गिर गया था. मालगाड़ी की जगह कोई दूसरी गाड़ी भी होती, तो इस तरह का हादसा होता.
इन पर हुई चार्जशीट : आशीष कुमार तत्कालीन एइएन, दिनेश पांडे वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर (रेलपथ), दीपेश कुमार जेइ (रेलपथ), किशन प्रसाद सिंह गैंगमैन (मेट) व की-मैन रंजीत कुमार

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