मुजफ्फरपुर: 2001-02 में शिक्षा विभाग में खर्च हुए 3.74 करोड़ का अभी तक लेखा-जोखा नहीं मिला है. यह राशि उत्तर बिहार के आठ जिलों में खर्च हुई थी. इसका खुलासा 2005-06 में ऑडिट के दौरान हुआ था.
इसके बाद से विभाग की ओर से जिले के अधिकारियों से इस राशि के खर्च का ब्यौरा मांगा जा रहा है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने इसकी जानकारी नहीं दी है. सीएजी ने इस पर शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है. इसके बाद विभाग के प्रधान सचिव ने फिर अधिकारियों को पत्र लिख कर जल्दी से जल्दी ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है.
शिक्षा विभाग के पत्र के अनुसार, उत्तर बिहार में 373.49 लाख रुपये गबन का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ था. 2001-2002 में अधिकारियों ने बाढ़ राहत की राशि की खूब बंदर बांट की. 2005-2006 में प्रधान महालेखकार (लेखा परीक्षा) ने ऑडिट की. इस रिपोर्ट में गबन को लेकर शिक्षा विभाग के साथ कई प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता बतायी गयी थी. इस रिपोर्ट में पूरे बिहार के अधिकारियों के बारे में तल्ख टिप्पणी की की गयी थी, लेकिन अब तक सीएजी को कार्रवाई रिपोर्ट नहीं भेजी गयी है. अधिकारियों ने हिसाब तक नहीं दिया.
गबन व राशि के बंदरबांट पर फिर सीएजी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से कार्रवाई का प्रतिवेदन मांगा है. सीएजी के पत्र मिलने के बाद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिलों को पत्र भेजकर गबन का हिसाब देने का आदेश दिया है. शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अंतिम पत्र भेजकर हिसाब देने को कहा है. सीएजी के पत्र के अनुसार, 2010 में इस मामले का खुलासा हुआ.
शिक्षा विभाग ने सभी अधिकारियों को यथाशीघ्र हिसाब देने को कहा है. वित्त विभाग ने 14 मई 2013 को हिसाब जुटाने के लिए बैठक बुलायी है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने अबतक हुई कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन साक्ष्यों के साथ सौंपने का निर्देश दिया है.