इसमें प्रस्ताव देकर सम विकास योजना से स्वीकृति दिलाने में भूमिका दिलाने वाले अभियंता व अधिकारी पर गाज गिरना तय माना जा रहा है. जानकारी हो एमआईटी से डीएसपी आवास होते हुए पुलिस लाइन लाइन जाने वाली एप्रोच सड़क का निर्माण पुलिस भवन निर्माण निगम से एक करोड़ छह लाख के लागत से हुआ था. इसी सड़क को सम विकास योजना से बनाने के लिए 98 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति ले ली गयी.
जबकि काली करण सड़क निर्माण के बाद पांच साल तक मेटेनेंस करना है. वही पीसीसी सड़क कम से कम पंद्रह से बीस साल टिकाउ होता है. इसी मानक से इसका इस्टीमेट भी बनता है.इस सड़क निर्माण का दो साल भी पूरा नहीं हुआ है. फिर भी इस सड़क के निर्माण कराने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी. इस तरह के मामले और भी सामने आये है. माड़ीपुर पावर हाउस चौक से जूरन छपरा होते पुरानी बाजार जाने वाली सड़क में पथ निर्माण विभाग ने टेंडर के समय नाला की मरम्मती का भी इस्टीमेट भी शामिल था. इसके बाद समविकास योजना से भी नाला पास करा लिया गया. फिर भी नाला का मरम्मत नहीं किये जाने पर डीएम अनुपम कुमार ने पथ निर्माण के कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण की मांग की थी.