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भूमंडलीकरण पूंजीवादी घरानों को प्रश्रय देने की तरकीब

फोटो :: दीपक- संगोष्ठी में बोले जेएनयू के प्राध्यापक- एफडीआइ भारत के लिए आत्मघातीसंवाददाता, मुजफ्फरपुरभूमंडलीकरण एक सुनियोजित बाजारीकरण की व्यवस्था है. यह बड़े-बड़े पूंजीवादों घरानों को प्रश्रय देने की तरकीब है. बेल आउट के द्वारा एक तरफ सरकार जहां कॉरपोरेट जगत के लोगों के बैंक ऋण माफ कर देती है, वहीं गरीब किसान की सब्सिडी […]

फोटो :: दीपक- संगोष्ठी में बोले जेएनयू के प्राध्यापक- एफडीआइ भारत के लिए आत्मघातीसंवाददाता, मुजफ्फरपुरभूमंडलीकरण एक सुनियोजित बाजारीकरण की व्यवस्था है. यह बड़े-बड़े पूंजीवादों घरानों को प्रश्रय देने की तरकीब है. बेल आउट के द्वारा एक तरफ सरकार जहां कॉरपोरेट जगत के लोगों के बैंक ऋण माफ कर देती है, वहीं गरीब किसान की सब्सिडी में कटौती की जाती है. इसके कारण देश में बेरोजगारी, गरीबी व भूखमरी की समस्या बढ़ती जा रही है. यही हाल रहा तो जल्द ही भारत की अर्थव्यवस्था अर्जेंटाइना व मैक्सिको जैसी हो जाने की आशंका है.ये बातें जेएनयू के प्राध्यापक प्रो एसके मालाकार ने कहीं. वे गुरुवार को विवि राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. विषय था, भूमंडलीकरण और भारतीय राजनीति के बदलते परिदृश्य. उन्होंने कहा, वर्तमान सरकार एफडीआइ को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती होगा. संगोष्ठी में डॉ उपेंद्र मिश्रा व डॉ एनपी चौधरी ने भी अपने विचार रखे. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ बीरेंद्र कुमार सिन्हा व मंच संचालन डॉ विपिन कुमार राय ने की.

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