मुजफ्फरपुर: स्कूल संचालक सत्यनारायण प्रसाद व उनके चालक मुकेश को अपहर्ताओं ने 101 दिन बाद मुक्त कर दिया. नये साल के दिन गुरुवार की सुबह वह रहस्यमय तरीके से अपने चांदनी चौक स्थित घर पहुंच गये. उनके आने से परिजनों को खुशी का ठिकाना नहीं था. उनकी रिहाई के लिए अपहर्ताओं को करोड़ों रुपये दिये जाने की चर्चा है. हालांकि पुलिस व परिजन इससे इनकार कर रहे हैं.
सत्यनारायण प्रसाद व उनके चालक की रिहाई के बाद एसएसपी रंजीत कुमार मिश्र ने बताया कि पुलिस की दबिश के कारण अपहर्ताओं ने स्कूल संचालक को मोतीपुर के पास रिहा कर दिया. उनके रिहा होने की सूचना पर विशेष टीम को पश्चिमी इलाके में भेजा गया था. उन्होंने सत्यनारायण प्रसाद की रिहाई के लिए फिरौती दिये जाने की बात से इनकार किया है. रिहा हुए स्कूल संचालक सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि 21 सितंबर को वह घर से इंडिका कार पर सवार होकर चालक मुकेश के साथ करजा जाने के लिए निकले थे. मड़वन के पास ओवरटेक कर उनकी गाड़ी को रोक दिया गया. गाड़ी रुकते ही अपराधियों ने हथियार के बल पर उन्हें व चालक को कब्जे में ले लिया. कार के अंदर घुसते ही उनकी बायीं हाथ पर पिस्टल के बट से कई प्रहार किया. उसके बाद सूई देकर बेहोश कर दिया.
सत्यनारायण ने बताया, जब उनकी आंख खुली, तो एक फू स की झोपड़ी में थे. आसपास के लोगों की भाषा सुन कर उन्हें लगा कि वे नेपाल या बॉर्डर के आसपास हैं. उन्होंने बताया कि अपहर्ताओं ने इतने दिनों में उनसे मारपीट नहीं की, लेकिन कड़ी आवाज में बात करते थे. झोपड़ी के बाहर अक्सर दो लोग पहरा देते रहते थे. उन्होंने फिरौती देने की बात से इनकार करते हुए कहा कि प्रशासन की दबिश के कारण अपहर्ता बुधवार की रात खाना देने के बाद बोले, अब तुम रिहा होने जा रहे ैहो. तुम्हारा अच्छा समय आ गया.
सत्य नारायण ने बताया, उनकी आंख पर काला चश्मा लगाकर एक गाड़ी में बैठा कर गुरुवार तड़के मोतीपुर के पास एनएच पर उतार दिया. आसपास के लोगों ने मोतीपुर के बारे में बताया. वहां से मुकेश के साथ टाटा 407 में बैठ कर वह बैरिया आ गये. वहां से पैदल ही घर पहुंच गये. इधर, उनके आने के बाद घर पर परिजनों व शुभचिंतकों का मिलने के लिए तांता लगा था. नगर विधायक सुरेश शर्मा सहित कई लोग उनसे मिलने पहुंचे. विधायक ने सत्य नारायण को माला पहनाया और कहा, हमारा एक भाई घर वापस आ गया.
ढाई करोड़ की फिरौती देने की चर्चा?
सत्यनारायण प्रसाद की रिहाई में ढाई करोड़ रुपये फिरौती दिये जाने की चर्चा है. हालांकि इस बात से परिजन व पुलिस के अधिकारी इनकार कर रहे हैं. बताया जाता है कि पवन भगत गिरोह के 21 सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पत्र लिख कर फिरौती की रकम मांगी गयी थी. पैसे का इंतजाम नहीं होने पर सत्यनारायण प्रसाद से ही अपहर्ता उनकी लिखावट में पत्र लिखवाते थे.
नेपाल तक गयी थी पुलिस
21 सितंबर को सत्यनारायण प्रसाद व उनके चालक मुकेश को अगवा कर लिया गया था. घटना के अगले दिन अहियापुर थाना क्षेत्र के भिखनपुर ग्रिड के समीप सड़क किनारे लावारिस अवस्था में उनकी इंडिका कार पायी गयी थी. कई दिनों बाद पुलिस को पता चला कि इस घटना में शातिर पवन भगत गिरोह का हाथ है. उसके भाई चंदन भगत ने अपने भाई के साथ मिलकर इस अपहरण कांड को अंजाम दिया था. पुलिस ने घटना में शामिल 21 अपराधियों की गिरफ्तारी की, लेकिन सत्यनारायण प्रसाद का पता नहीं कर पायी. पुलिस टीम ने नेपाल सहित कोलकाता में कई बार छापेमारी भी की, लेकिन उनकी बरामदगी नहीं हो पायी थी.