मुजफ्फरपुर: जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, साक्षरता कार्यालय के अधिकारियों व उनके कर्मियों ने सरकारी खजाने पर जमकर हाथ साफ की है. यह खेल लोगों के बीच शिक्षा की समझ लाने के नाम पर हुआ है.
बिना कार्यक्रम कराये ही फर्जी कागज बनाकर 13 लाख रुपये निकासी कर ली है. योजना की पूरी राशि ही विभाग के सभी लोग मिलकर गटक गये. फर्जीवाड़ा का खेल शिक्षा के हक अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार यात्र में किया गया है.
लोगों में शिक्षा का अधिकार के बारे में समझ विकसित करनी थी, लेकिन ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ. इसमें जिला साक्षरता कार्यालय, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी व कलाकारों का हाथ है. महालेखाकार की ऑडिट से इस मामले का खुलासा हुआ है. फर्जीवाड़े का यह खेल साहेबगंज व मोतीपुर प्रखंड के नमूने के तौर पर कागजों की जांच से सामने आया है. पूरे जिले की जांच हो तो इस फर्जीवाड़े का दायरा और बढ़ सकता है.
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 12 जनवरी 2013 को मोतीपुर प्रखंड में कला जत्था का प्रबोधन (लोगों में शिक्षा के प्रति समझ विकसित करना) कार्यक्रम गया, लेकिन जब जांच की गयी तो 12 जनवरी 2013 को मोतीपुर में कला जत्था का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था. यही खेल साहेबगंज प्रखंड में भी किया गया. 15 जनवरी 2013 को साहेबगंज में प्रबोधन कार्यक्रम किया गया. उस दिन किसी कला जत्था का कार्यक्रम साहेबगंज प्रखंड में नहीं हुआ था. ऑडिट ने विभाग के पूरे कार्य को संदिग्ध बताया है.
कला जत्था के कलाकारों के मानदेय भुगतान के कागजात की जांच हुई तो इसमें भी फर्जीवाड़ा था. शिक्षा का अधिकार यात्र कार्यक्रम 30 दिनों का था. 30 दिनों के लिए विभाग ने पैसा भी दिया था. लेकिन, अधिकारियों ने अपनी मर्जी से व्यक्तिगत लाभ के लिए 43 दिनों का कार्यक्रम तैयार किया था. पूरे प्रखंड में अन्य खर्च भी बिना मतलब किया गया. कलाकारों के प्रशिक्षण में 1.42 लाख रुपये बांट दिये गये. यह वित्तीय नियमों का घोर उल्लंघन माना गया है. शिक्षा के हक अभियान अंतर्गत 12.91 लाख रुपये अवैध तरीके से खर्च किया गया.
ऑडिट को विभाग ने बताया, जिले के 387 पंचायतों में यह कार्यक्रम था. इसलिए 43 दिनों का रूट चार्ट तैयार किया गया था. 12 जनवरी को मोतीपुर व 15 जनवरी को साहेबगंज में कार्यक्रम हुआ. मुख्य समन्वयक ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया. कला जत्था का प्रशिक्षण व शिक्षा का हक अभियान अंतर्गत शिक्षा यात्र भत्ता पर विभाग के नियम से पैसे खर्च किये गये हैं. लेकिन, ऑडिट टीम विभाग के इस जवाब से संतुष्ट नहीं थी.
ऐसे हुआ काम
30 दिनों के बदले 43 दिनों का
हुआ कार्यक्रम
43 दिन के लिए 300 रुपये प्रति कलाकार मानदेय
43 दिन में एक कलाकार को 12,900 रुपये का भुगतान
29 कलाकारों को 3,66,300
रुपये भुगतान
कला जत्था के प्रशिक्षण में 1.42 लाख लुटाये
यह था प्रावधान
कला जत्था भ्रमण पर प्रति पंचायत 3100 रुपये खर्च
कलाकारों का मानदेय (तीन सौ रुपये प्रति कलाकार)
कलाकारों का भोजन (150 प्रति कलाकार)
गाड़ी भाड़ा तीन हजार रुपये प्रतिदिन
गाड़ी सजावट 900 रुपये व साउंड सिस्टम 900
तीन जनवरी 2013 को शुरू होना था कार्यक्रम
तीन कला जत्था दल को करना था जिले में कार्यक्रम
जिले की 387 पंचायतों में 15.18 लाख करना
था खर्च