मुजफ्फरपुर: मनिका मन का विकास हैदराबाद की हुसैन सागर झील की तर्ज पर हो. प्रभात खबर की ये मुहिम रंग लाने लगी है. अब यह मूर्त रूप लेते दिख रही है, क्योंकि एसडीओ पूर्वी ने मन के विकास को लेकर जो रिपोर्ट सरकार को भेजी है.
उसमें उन्हीं बातों का जिक्र है, जिनका जिक्र प्रभार खबर ने अपनी रिपोर्ट में किया था. 126 एकड़ से ज्यादा में फैले को लेकर सीओ मुशहरी ने अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी को रिपोर्ट भेजी. उसी के आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें मन के विकास की विस्तार से चर्चा की गयी है.
एसडीओ ने रिपोर्ट में लिखा है, मनिका मन मुजफ्फरपुर -पूसा रोड पर मुख्य सड़क के किनारे प्रकृति के सरम्य वातारवरण में स्थित है. बारिश के दिनों में मन में जल भर जाता है. उस समय मन की छटा देखने लायक होती है. जाड़े के दिनों में मन में विभिन्न प्रजाति के पक्षी आते हैं. आर्थिक दृष्टिकोण से मन की काफी महत्ता है. महापर्व छठ में व्रती मन के किनारे पूजा करते हैं. भगवान सूर्य को अर्घ देते हैं. मन में अभी मत्स्य पालन का काम हो रहा है. इससे आसपास के लोगों की आमदनी होती है. गर्मी के समय में मन में पानी काफी कम हो जाता है, लेकिन मछली पालन का काम चलता रहता है. पर्यटन की दृष्टि से मन में वोटिंग हो सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है. बारिश के पानी को ठीक से संरक्षित किया जाये.
बारिश में मन में पानी भर जाता है. मन के पश्चिमी-उत्तरी छोर पर जल विकासी व पूर्वी छोर पर भी जल निकासी की व्यवस्था हो सकती है. इसके लिए सिंचाई विभाग से प्रस्ताव बनवाया जा सकता है. इससे मन में हर समय पानी रहेगा. मन के विकास के लिए बिजली जरूरी है. इसके लिए बिजली विभाग को निर्देश दिया जा सकता है. मन के विकास के लिए जरूरी है, बड़े पार्क या उद्यान लगाये जाये. इसमें पौधों के चयन पर विशेष ध्यान देना होगा. इसके लिए उद्यान विभाग की मदद ली जा सकती है.
मन के पानी के बीच में महत्मा बुद्ध व उनकी शिष्या आम्रपाली की मूर्ति लगायी जा सकती है, जहां पहुंचने के लिए पुल बनाया जा सकता है. इस क्षेत्र से जुड़ी यादों व सांस्कृतिक धरोहर को मूर्त रूप से देने के लिए संग्रहालय बनाया जा सकता है.
पेंटिंग के जरिये भी संस्कृति को प्रदर्शित किया जा सकता है. एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है, मनिका मन का विकसा आवश्यक प्रतीत होता है, यहां विभिन्न स्टॉल के जरिये क्षेत्र की उत्पादित चीजों का बिक्री केंद्र भी बनाया जा सकता है. इसके अलावा होटल, रिसार्ट, रेस्टोरेंट. नौकायन व नौका विहार की व्यवस्था हो सकती है. इस सबके लिए विशेषज्ञों की टीम की नियुक्ति की जानी चाहिए, जो इस पर विचार करके डीपीआर तैयार करे. ताकि मन का विकास हो सके. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.