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…इसी धरा पर ब्याह रचाने आये थे श्रीराम

फोटो 8324नवयुवक समिति में तिरहुत महोत्सव की शुरुआतपहले दिन कवि सम्मेलन का आयोजन, काव्य रस से निहाल हुए श्रोतावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : सीता माता की धरती यह तिरहुत इसका नाम, इसी धरा पर ब्याह रचाने आये थे श्रीराम . नागेंद्र नाथ ओझा ने जब यह पंक्तियां सुनायी तो लोगों ने जोरदार तालियों से उन्हें नवाजा. […]

फोटो 8324नवयुवक समिति में तिरहुत महोत्सव की शुरुआतपहले दिन कवि सम्मेलन का आयोजन, काव्य रस से निहाल हुए श्रोतावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : सीता माता की धरती यह तिरहुत इसका नाम, इसी धरा पर ब्याह रचाने आये थे श्रीराम . नागेंद्र नाथ ओझा ने जब यह पंक्तियां सुनायी तो लोगों ने जोरदार तालियों से उन्हें नवाजा. मौका था तिरहुत महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार को श्री नवयुवक समिति ट्रस्ट में आयोजित कवि सम्मेलन का. इससे पूर्व सभा की अध्यक्षता कर रहे डॉ शिवदास पांडेय ने तिरहुत संस्कृति को विश्व की संस्कृति बताया. उन्होंने कहा कि तीन नदियों से घिरा यह स्थान मैथिली, भोजपुरी व बज्जिका तीन भाषाओं की जननी है. डॉ महेंद्र मधुकर ने सीता की जन्म स्थली पुनौरा व जनकपुर धाम का वर्णन करते हुए विवाह पंचमी के मौके पर माता सीता को याद करना नवद्या भक्ति का प्रतीक कहा. इस मौके पर लोक गायिका डॉ पुष्पा प्रसाद ने सिया रघुवीर विवाह, मंगल गाओ री गीत प्रस्तुत कर लोगों में भक्ति भाव जगाया. डॉ राम विलास ने बज्जिका कविता बाट बटखरा ठीके रहलक, सही रहल हम्मर ओजन सुना कर लोगों की तालियां बटोरी. डॉ विजय शंकर मिश्र ने प्रेम हृदय अंतरंग मित्र हैं, हर पल निभाता है हर सुख दुख में सुना कर लोगों का दिल जीत लिया. इस मौके पर राम उचित पासवान, डॉ देवव्रत सिंह अकेला, रणवीर अभिमन्यु, अंजनी कुमार पाठक, रमेश कुमार प्रेमी, भवचंद्र भानु, इ.सत्यनारायण मिश्र, मिथिलेश कुमार दर्द व शोभाकांत मिश्र की कविताएं सराही गयी.

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