मुजफ्फरपुर: नवरुणा अपहरण कांड की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआइ की टीम दो दिनों से डेरा डाली हुई है. बुधवार को सीएफएसएल के फोरेसिंक साइकोलॉजी के एसएसओ डॉक्टर एके सिंह के नेतृत्व में होटल संचालक अभय गुप्ता समेत चार लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया.
इस दौरान उनसे दर्जनों सवाल किये गये. बताया जाता है कि झूठ पकड़ने वाली मशीन लगातार आठ घंटे तक ही काम कर सकती है. सीबीआइ ने पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए चार घंटे की प्रश्नोत्तरी तैयार कर रखी है. बताया जाता है कि होटल संचालक समेत तीन अन्य निदान कर्मी का भी टेस्ट कराया गया है. हालांकि सीबीआइ के अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि सीएफएसएल के अधिकारी रिपोर्ट तैयार कर देंगे, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
चाय पीने की इच्छा पर खुली कैंटीन : बुधवार की रात पॉली ग्राफ टेस्ट देने पहुंचे लोगों ने चाय पीने की इच्छा जतायी. लेकिन सीबीआइ की कैंटीन बंद हो जाने से उन्हें चाय नहीं मिल पायी. बताया जाता है कि गुरुवार को रात 9 बजे तक कैंटीन को खोल कर रखने का निर्देश जारी किया गया था. सूत्रों के अनुसार, देर रात तक पॉली ग्राफ टेस्ट लिया गया.
कंकाल पर टिका है सवाल : सीएफएसएल के अधिकारी पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान ज्यादातर सवाल 26 नवंबर 2012 को नाले से मिले कंकाल के संबंध में ही पूछ रहे है. एक ही सवालों को अलग-अलग तरीके से पूछा जा रहा है. बताया जाता है कि अगर पॉलीग्रॉफिक टेस्ट में संबंधित लोगों की बात गलत साबित हुई, तो ये संदिग्ध के दायरे में आ जायेंगे. इसके बाद सीबीआइ की जांच का रुख भी बदल जायेगा. इनसे अलग तरीके से अन्य बिंदुओं पर पूछताछ शुरू होगी. अगर इस टेस्ट का परिणाम निगेटिव आता है, तो ‘लाइन ऑफ एक्शन’ भी बदल जायेगा. फिलहाल इस टेस्ट का मुख्य मकसद बयान देनेवाले लोगों के बयान का सत्यापन करना है.
आज भी होगा टेस्ट
पटना में सीएफ एसएल के अधिकारी शुक्रवार तक नौ लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट करेंगे. गुरुवार को रात नौ बजे तक चार से सात लोगों को झूठ पकड़ने वाली मशीन से टेस्ट किया जा चुका था. शुक्रवार को बाकी बचे लोगों का टेस्ट किया जायेगा. बताया जाता है कि पटना स्थित जिस जगह पर पॉलीग्राफ टेस्ट हो रहा है, वहां पर सभी नौ लोगों को बुधवार को ही बुला लिया गया था. उन सभी का बारी-बारी से टेस्ट किया जा रहा है. यहां बता दें कि वार्ड 23 के पार्षद पति राकेश कुमार सिन्हा उर्फ पप्पू, गौतम कुमार चौधरी, मुनींद्र झा, श्याम पटेल, सुदीप चक्रवती, अजय कुमार, रामु राम, शंभु राम, रोहित कुमार व अभय गुप्ता का टेस्ट कराने की अनुमति मांगी गयी थी.
क्या है पॉलीग्रॉफिक टेस्ट
इसे ‘लाइ डिटेक्टर’ टेस्ट भी कहते हैं. इसमें जांचकर्ता एक व्यक्ति से कई बार सवालों को घुमा कर या एक ही सवाल को बार-बार पूछते हैं. हर बार जवाब देने के दौरान व्यक्ति के बयानों को दर्ज कर यह देखा जाता है कि उनमें कितना अंतर है. पूछताछ के दौरान व्यक्ति को एक खास किस्म की मशीन पर बैठाया जाता है, यह मशीन संबंधित व्यक्ति के ब्लड प्रेशर, पल्स, सांस और त्वचा की संवेदना के अलावा बयान देने के दौरान तंत्रिका तंत्र में आनेवाले बदलावों को बारीकी से दर्ज करता है. इसके बाद तमाम डाटा में आये अंतर के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है.