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मुंशी प्रेमचंद के समय की कुरीतियां आज भी विद्यमान

मुजफ्फरपुर: भारतीय जननाटय़ संघ इप्टा की ओर से रविवार को पुरानी गुदड़ी स्थित कार्यालय में प्रेमचंद जयंती समारोह मनाया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महेंद्र मधुप ने कहा कि प्रेमचंद किसानों व मजदूरों के कथाकार थे. इन्होंने आजीवन साम्राज्यवाद के खिलाफ रचना की. डॉ कुमार विरल ने कहा कि प्रेमचंद के ग्रामीण परिवेश में […]

मुजफ्फरपुर: भारतीय जननाटय़ संघ इप्टा की ओर से रविवार को पुरानी गुदड़ी स्थित कार्यालय में प्रेमचंद जयंती समारोह मनाया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महेंद्र मधुप ने कहा कि प्रेमचंद किसानों व मजदूरों के कथाकार थे.

इन्होंने आजीवन साम्राज्यवाद के खिलाफ रचना की. डॉ कुमार विरल ने कहा कि प्रेमचंद के ग्रामीण परिवेश में जो कुरीतियां थी, वह आज भी अपना रूप बदल कर विद्यमान है. संचालन करते हुए श्रवण कुमार ने कहा कि प्रेमचंद ने सांप्रदायिकता, अंधविश्वास व कुरीतियों के खिलाफ कहानी व उपन्यास के माध्यम से जन आंदोलन चलाया.

संस्था के सचिव अजय विजेता ने कहा कि प्रेमचंद ग्रामीण परिवेश में दबे कुचले शोषितों के सिपाही थे. मुकेश कुमार ने उन्हें यथार्थवादी साहित्यकार बताया. मौके पर पूनम सिंह, रानी लता, संजीत किशोर, प्रियंका कुमारी, सुगंधा कुमारी, विकास कुमार, अभिषेक भट्टाचार्य आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये. इस मौके पर सुनीता कुमार ने ये फैसले का वक्त है मिल कर चलो गीत प्रस्तुत किया.

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