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बेनेगल, मणिरत्नम, गुहा समेत 49 हस्तियों को मिली क्लीन चिट

पटना/मुजफ्फरपुर : इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, फिल्म अभिनेत्री अपर्णा सेन सहित 49 हस्तियों को राजद्रोह के एक मुकदमे में पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. एसएसपी मनोज कुमार ने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में केस को असत्य करार दिया है. तीन अक्तूबर को सीजेएम कोर्ट के आदेश पर पीएम मोदी के नाम […]

पटना/मुजफ्फरपुर : इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, फिल्म अभिनेत्री अपर्णा सेन सहित 49 हस्तियों को राजद्रोह के एक मुकदमे में पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. एसएसपी मनोज कुमार ने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में केस को असत्य करार दिया है.
तीन अक्तूबर को सीजेएम कोर्ट के आदेश पर पीएम मोदी के नाम खुला खत लिखने वाले 49 हस्तियों के खिलाफ सदर थाने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट के आदेश पर दर्ज इस मामले में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने तेजी से पर्यवेक्षण करने के निर्देश दिया था.
दो दिन पूर्व एसएसपी के समक्ष वादी अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा सहित चार गवाहों की गवाही हुई. जांच के दौरान पीएम मोदी को लिखे पत्र को प्रस्तुत नहीं करने और राजद्रोह का मामला प्रूव नहीं होने पर केस को असत्य करार दिया गया.
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार ने बताया कि झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ धारा 182 व 211 के तहत नोटिस कर कार्रवाई के आदेश दे दिये गये हैं. शिकायतकर्ता साक्ष्य उपलब्ध कराने में विफल रहे है. इधर, अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने कहा कि इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट में विरोध पत्र दाखिल करेंगे. पुलिस को धारा 182 व 211 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार कोर्ट को है.
उन्होंने कहा कि 10 साल से कई केस अनुसंधान के लिए लंबित हैं. लेकिन, इस केस का अनुसंधान एफआइआर दर्ज होने के एक हफ्ते के अंदर ही कर लिया गया. इस केस से संबंधित सभी साक्ष्य एसएसपी, थानेदार व आइओ को दिया गया था. उसके बाद भी केस को झूठा करार दिया गया है.
यह था मामला
सदर थाने के लहलादपुर पताही निवासी अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने 27 जुलाई को सीजेएम के कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था. इसमें फिल्म निर्माता अडूर गोपाल कृष्ण, अभिनेत्री अर्पणा सेन, गायिका शुभा दुगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी, अभिनेत्री रेवती, कोंकणा सेन, फिल्मकार श्याम बेनेगल, निर्माता निर्देशक मणिरत्नम, इतिहासकार रामचन्द्र गुहा व अज्ञात 40 समेत 49 लोगों को आरोपित बनाया था.
आरोप लगाया था कि सभी आरोपित व कुछ बुद्धिजीवियों ने मोदी सरकार में हेराफेरी एवं उन्माद हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. इसे टीवी चैनलों पर प्रसारित होते देखा. आरोपितों का यह रवैया भारत की छवि को खराब करने वाला था. कोर्ट के आदेश पर तीन अक्तूबर को सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर दारोगा हरेराम पासवान को अनुसंधानक बनाया गया था.
इन दो बिंदुओं पर खारिज
1. जांच में पीएम के नाम लिखे गये पत्र प्रस्तुत नहीं किये गये
2 राजद्रोह का मामला सत्य नहींपाया गया

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