मुजफ्फरपुर: बाबा गरीबानाथ पर चढ़नेवाला आस्था का जल किस तरह से नाले में जाता है, जिससे लोगों की आस्था से खिलवाड़ होता है. ये बात सामने आने के बाद चारों ओर से ये मांग उठने लगी है, बाबा पर चढ़नेवाले जल का बेहतर प्रबंधन हो. आम लोगों से लेकर जन प्रतिनिधि तक सभी ये कह रहे हैं, वो इसमें सहयोग को तैयार हैं. मंदिर प्रबंधन व न्यास समिति को इसमें पहल करनी चाहिए.
सुबह जब प्रभात खबर में जल से संबंधित खबर निकली, तो बाबा गरीबनाथ मंदिर प्रबंधन से जुड़े सदस्यों ने पहले इससे किनारा करने की कोशिश की. इन लोगों का कहना था, जल का बेहतर प्रबंधन है. आनन-फानन में मीडिया से जुड़े लोगों को मंदिर परिसर में बुला कर व्यवस्था दिखाने की बात होने लगी, लेकिन सफाई देने के दौरान ही पूरे मामले की सच्चई सामने आ गयी. जिस तरह की टंकियां बाबा पर चढ़नेवाले जल के प्रबंधन के लिए बनी हैं, वो अपने आप में अपर्याप्त हैं. ये बात मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े सदस्य भी स्वीकार करते हैं.
गोपाल फलक जैसे सदस्यों ने खुल कर स्वीकार किया कि जल प्रबंधन के लिए व्यवस्था किये जाने की जरूरत है. प्रबंधन समिति से जुड़े साहित्यकार डॉ संजय पंकज भी पहले समिति की ओर से की गयी व्यवस्था को सही बताने का प्रयास करते रहे, लेकिन जब उनसे तर्को के आधार पर पूछा जाने लगा, तो वह भी कहने लगे, कुछ व्यवस्था की जरूरत तो है ही. ऐसे ही पुजारी विनय पाठक का भी कहना था, हम लोगों से जो भी हो सकेगा वो आगे करेंगे. साथ ही वो ये भी कहते रहे, अभी जो व्यवस्था है, वो पर्याप्त है. लेकिन सवाल ये है कि अगर व्यवस्था पर्याप्त है, तो वो कौन सी परिस्थिति है, जिसमें बाबा पर चढ़नेवाले जल को पंप व बाल्टियों के जरिये नाली में बहाया जाता है. ये बात हम नहीं, मंदिर से जुड़े लोग भी स्वीकार करते हैं.