मुजफ्फरपुर: अखाड़ा घाट स्थित राम जानकी मंदिर के महंत शशि भूषण दास ने 15 साल पहले ही अपनी हत्या की आशंका जतायी थी. उन्हें अपने भाई व तीन भतीजों से ही जान का खतरा था.
इस संबंध में उन्होंने एसडीओ पूर्वी के कोर्ट में पांच जुलाई 1999 को एक आवेदन दिया था. इसमें जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगायी थी. आवेदन में उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद मंदिर की संपत्ति के साथ ही उनकी पैतृक संपत्ति भी सरकार की होगी. उनके भाई व भतीजे उनकी संपत्ति के दावेदार नहीं हो सकते हैं.
अनुमंडल दंडाधिकारी की कोर्ट में दिये आवेदन में महंत ने कहा था, राम जानकी मंदिर के पूर्व महंत नरसिंह दास ने 1983 में उन्हें मंदिर का महंत बनाया था. साथ ही मंदिर की सारी संपत्ति उनके नाम घोषित कर दी थी. इसके बाद से वे मंदिर व उसकी संपत्ति की देखभाल कर रहे हैं. इधर, वह मंदिर कार्य में व्यस्त रहने लगे. इसका फायदा उठा कर पैतृक संपत्ति का लाभ उनके भाई व भतीजे लेने लगे. वैशाली जिले के अदलपुर स्थित उनकी संपत्ति से जो भी आय होती थी उसका फायदा उनके भाई नवल किशोर सिंह, भतीजा जीतेंद्र कुमार सिंह, राजेश कुमार सिंह व मुकेश कुमार सिंह उठाने लगे. इसके बाद भी वे लोग मंदिर की संपत्ति में हिस्सा मांगने लगे. इससे इनकार करने पर वे लोग उनके दुश्मन बन गये.