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मुजफ्फरपुर : 30 नवंबर तक गेहूं की खेती के लिए उपयुक्त समय, पटवन कर ही करें गेहूं की बोआई
मुजफ्फरपुर : इस साल सूखे की वजह से धान की पैदावार पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में गेहूं की फसल को लेकर किसानों को नयी रणनीति अपनानी होगी. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल वर्षा कम होने से खेतों में नमी की कमी है. कम नमी वाले खेतों में बोआई करने पर […]
मुजफ्फरपुर : इस साल सूखे की वजह से धान की पैदावार पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में गेहूं की फसल को लेकर किसानों को नयी रणनीति अपनानी होगी. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल वर्षा कम होने से खेतों में नमी की कमी है.
कम नमी वाले खेतों में बोआई करने पर बीज अंकुरण की समस्या उत्पन्न होने का खतरा अधिक रहता है. जो बीज अंकुरित होगा भी, उसके निकलते ही सूखने की संभावना अधिक है. ऐसे में गेहूं की बुआई करने से पहले खेतों में नमी के लिए पटवन आवश्यक है.
सरैया कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक व पौधा रोग विशेषज्ञ हेमचंद्र चौधरी के मुताबिक, अभी जो किसान गेहूं की बुआई करेंगे, उसे समय की खेती माना जायेगा. 30 नवंबर तक बोआई करने पर उपज बहुत ही अच्छी होती है.
इसके बाद यदि किसान एक से दस दिसंबर तक बोआई करते हैं, तो गेहूं के पौधा में सात से ग्यारह तक कला निकलेगी. इसी तरह 10 से 25 दिसंबर तक पांच से सात व 25 से 30 दिसंबर तक चार से पांच कला निकलेगी. गेहूं की खेती के लिए 15 से 30 नवंबर का समय काफी उपयुक्त माना जाता है. मालूम हो कि करीब 75 प्रतिशत धान की कटनी किसान कर भी चुके हैं.
प्रभेद एचडी 2967 व एचडी 2733 से फायदे में रहेंगे
कृषि वैज्ञानिक हेमचंद्र चौधरी ने बताया कि गेहूं बीज का प्रभेद एचडी 2967 व एचडी 2733 की बोआई करने पर पैदावार अधिक होने के साथ-साथ इसमें भूसा भी अधिक होता है. इसका भूसा भी मवेशी अधिक चाव से खाते है.
इस प्रभेद की बोआई एक नवंबर से 30 दिसंबर तक की जा सकती है, लेकिन जैसै-जैसे बुआई देर से की जाएगी, उस हिसाब से उपज कम होगी. इस वर्ष इस दोनों प्रभेद को 10 हजार हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अबतक करीब 200 एकड़ में ही लगाया जा सका है.
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