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विशेषज्ञ करेंगे बीमार बच्चों के ब्रेन के सेल की जांच

मुजफ्फरपुर: एइएस के संदिग्ध बच्चों के ब्रेन सेल की जांच के लिए इलेक्ट्रो इनसेफेलाग्राम (इइजी) टेस्ट कराया जायेगा. पीड़ित बच्चों की जांच की व्यवस्था दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञ करेंगे. इसके अलावा बच्चों का हर घंटे ब्लड शुगर भी चेक होगा. इससे बच्चों में चीनी के स्तर का पता चलेगा. बीमारी […]

मुजफ्फरपुर: एइएस के संदिग्ध बच्चों के ब्रेन सेल की जांच के लिए इलेक्ट्रो इनसेफेलाग्राम (इइजी) टेस्ट कराया जायेगा. पीड़ित बच्चों की जांच की व्यवस्था दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञ करेंगे.

इसके अलावा बच्चों का हर घंटे ब्लड शुगर भी चेक होगा. इससे बच्चों में चीनी के स्तर का पता चलेगा. बीमारी पर रिसर्च के लिए आये एनसीडीसी व अटलांटा के सीडीसी से आये विश्ेाषज्ञों के दल ने डॉक्टरों के साथ बैठक में लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के तहत ये सुझाव दिये. एसकेएमसीएच व केजरीवाल मातृसदन में डॉक्टरों के साथ हुई बैठक में इलाज के कई बिंदुओं पर चर्चा हुई. इस दौरान बीमारी की पहचान की अपेक्षा बच्चों की जान बचाने पर अधिक जोर दिया गया. सीडीसी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ जिम सेवियर ने बच्चों का एमआरआइ जांच कराने के साथ बच्चों के लिए वेंटीलेटर को भी जरूरी बताया. उन्होंने माना कि इस बीमारी में सभी बच्चों का ब्लड शुगर कम हो रहा है. लेकिन बीमारी का कारण वायरस है या टॉक्सिन, इसके बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है. अभी हमलोग हर जरूरी उपाय करे. जिससे बच्चों की जिंदगी बचायी जा सके. इस मौके पर एसकेएमसीएच में शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ ब्रजमोहन ने बच्चों के इलाज की जानकारी दी. डॉ सेवियर ने इलाज की व्यवस्था पर संतोष जताया.

विशेषज्ञों ने दिया ब्रेन बायोप्सी का सुझाव : केजरीवाल मातृसदन में डॉक्टरों के साथ बैठक करते हुए न्यूरोलॉजिस्ट डॉ जिम सेवियर ने बच्चों का ब्रेन बायोप्सी का सुझाव दिया. शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा कि इसके लिए सरकार का निर्देश चाहिए. यदि आप सरकार को यह सुझाव देते हैं तो इसकी गुंजाइश बनेगी. डॉ सेवियर इस बात पर सहमत हुए. हालांकि उन्होंने सभी बच्चों का सिटी स्कैन कराने का सुझाव दिया. डॉ कुमार ने कहा कि बगल में अनुपम सिटी स्कैन से बात हो गयी है. बच्चों की हालत स्थिर होते ही उनका टेस्ट कराया जायेगा.

ग्लूकोमीटर से सभी बच्चों के ब्लड शुगर की जांच पर उन्होंने कहा कि प्रति घंटे बच्चों की जांच की जा रही है. कई बच्चे का ब्लड शुगर नॉर्मल भी आया है. लेकिन ऐसे भी कई बच्चे हैं, जिनका ब्लड शुगर नॉर्मल होने के एक घंटे बाद फिर काफी नीचे चला गया. बीमारी में कई लक्षण ऐसे हैं जिससे नतीजे पर पहुंचना मुश्किल है. लेकिन हमलोग बच्चों की जान बचाने का प्रयास कर रहे हैं. डॉ जेवियर ने कार्डियक मॉनिटर, एबजीजी मशीन व वेंटीलेटर की उपयोगिता जतायी. डॉ कुमार ने कहा कि हमलोग के पास इतना संसाधन नहीं है. सीमित संसाधन में भी बच्चों का इलाज कर रहे हैं. संसाधन उपलब्ध हो तो हमलोगों को भी आसानी होगी. डॉ जेवियर ने कहा कि वे इसके लिए प्रयास करेंगे. उनके साथ एनसीडीसी के डॉ सोम शेखर, डॉ राजेश कुमार पांडेय, डॉ पंकज, डॉ शाकिर व डॉ मयंक शामिल थे.

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