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खेतों में उड़ रही धूल, फसल की जगह पारथेनियम व दूब
प्रेम मुजफ्फरपुर : धान की लहलहाती फसलों से सजनेवाली धरती जुलाई के तीसरे सप्ताह में भी वीरान है. खेतों में कादो-पानी व मॉनसून की बारिश में भींग कर धान रोपते मजदूरों की जगह केवल ढेले व धूल दिख रहे हैं. बादलों की जगह सुबह शाम तक प्रचंड धूप का नजारा दिखता है. जिन खेतों की […]
प्रेम
मुजफ्फरपुर : धान की लहलहाती फसलों से सजनेवाली धरती जुलाई के तीसरे सप्ताह में भी वीरान है. खेतों में कादो-पानी व मॉनसून की बारिश में भींग कर धान रोपते मजदूरों की जगह केवल ढेले व धूल दिख रहे हैं. बादलों की जगह सुबह शाम तक प्रचंड धूप का नजारा दिखता है. जिन खेतों की जुताई नहीं हुई है, उनमें दूब व पारथेनियम(गाजर घास) निकल आये हैं. किसान आसमान में तैरते उजले बादलों को देख खेती के लिए हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं. गरमा सीजन के दौरान जिन खेतों में मूंग, उड़द व पशुचारा के जनेरा आदि बोये गये थे, वो भी सूख रहे हैं.
धान के बिचड़े धूप में रस्सी की तरह आपस में उलझे हुए हैं. जुलाई में करीब 15 से 17 फीसदी बारिश हुई है. आखिर इस अनावृष्टि के बीच किसान कैसे धान लगाएं, बड़ा सवाल है?
कुढ़नी प्रखंड के बसौली के किसान चंदेश्वर सिंह कहते हैं, करीब आठ दिन पहले धान की रोपनी की थी. खेतों में दरार निकल आयी है, धान के पौधे कुम्हला रहे हैं. बारिश नहीं हुई, तो पंपसेट से पटवन कर रहे हैं. रोपनी तो कर दिये हैं, लेकिन इन्हें बचाना बड़ी चुनौती है. यह हाल केवल केवल चंदेश्वर सिंह नहीं है, इलाके में कृषि पर घोर संकट है. इन्हीं के खेत के बगल में मो गफ्फार मियां का खेत है. इनके बटाईदार धान लगाने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं.
धान क्या, दूब की निकल रही जान
जगदीशपुर के किसान हरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि आसमान में लोग टकटकी लगाये हैं, लेकिन, बादल मुंह चिढ़ा रहे हैं. खेतों में पारथेनियम घास आ गये हैं. प्रचंड धूप के कारण दूब सूख रहे हैं, ऐसे में धान कैसे बच सकता है? बारिश की बूंदों के लिए लोग तरस रहे हैं. पदमौल-कच्चीपक्की मार्ग के दोनों ओर काफी कम खेतों में धान की फसल दिखती है. जो लोग धान लगा चुके हैं, महंगे पटवन की बदौलत धान को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. जम्हरुआ के कृष्णा कुमार बताते हैं कि खेतों में धूल उड़ रही है. सिंचाई कर धान रोपना किसानों के लिए काफी मुश्किल है.
प्रचंड गरमी में गायब हो गयी जमीन की नमी
इधर, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ ए सत्तार बताते हैं कि तापमान करीब 40 डिग्री तक पहुंच गया है. प्रचंड धूप के कारण जमीन से नमी काफी तेजी से गायब हो रही है. ऐसे में, ऊंची जमीन में धान की रोपनी करना सही नहीं होगा. धान को जीवन रक्षक सिंचाई दें. मॉनसून कमजोर रहेगा. किसानों को वैकल्पिक खेती पर जोर देना चाहिए.
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