एक और दो रुपये का सिक्का नहीं लेने का आरोप लगाते हुए सहदेव यादव ने बताया कि दो दिन पहले पेट्रोल पंप पर पेट्रोल डलवाने के बाद एक व दो रुपये का सिक्का देने पर पेट्रोल पंपवाले ने कहा कि सिक्का नहीं लेंगे, यह नहीं चल रहा हैं. बैंक भी नहीं ले रहा है, तो हम क्यों लेंगे? जब बैंक में नहीं लेने की लिखित मांग किये जाने पर पेट्रोलकर्मी ने इसे देने से इनकार कर दिया. अब सिक्के घर में ही रखे हैं.
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एक रुपये का छोटा सिक्का बना जी का जंजाल
मुजफ्फरपुर: इन दिनों एक रुपया छोटा सिक्का व दो रुपये का सिक्का हर किसी के लिए जी का जंजाल बना है. पेट्रोल पंप, राशन दुकान, होटल, दवा दुकान समेत अन्य दुकानों में सिक्का नहीं लिया जा रहा है. इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दुकानदारों के इस रवैये से परेशान […]
मुजफ्फरपुर: इन दिनों एक रुपया छोटा सिक्का व दो रुपये का सिक्का हर किसी के लिए जी का जंजाल बना है. पेट्रोल पंप, राशन दुकान, होटल, दवा दुकान समेत अन्य दुकानों में सिक्का नहीं लिया जा रहा है. इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दुकानदारों के इस रवैये से परेशान लोग अब इसकी शिकायत दर्ज कराने का मूड बना रहे हैं.
राजीव कुमार (संजय सिनेमा रोड) : पेट्रोल पंप में तेल लेने के बाद जब एक रुपया का छोटा सिक्का दिया जा रहा है, तो लेने से इनकार कर दिया जाता है. काफी रिक्वेस्ट करने के बाद भी सिक्का नहीं लिया जा रहा. मैंने कई जगहों पर इसकी शिकायत की, लेकिन किसी ने पेट्रोल पंप संचालक से पूछा तक नहीं. इतना ही नहीं, शहर के कई दुकानदार भी एक और दो रुपये का सिक्का लेने को तैयार नहीं हैं. इनका कहना है कि अब यह सिक्का नहीं चल रहा है.
मनोज गुप्ता (हरिसभा चौक) : सिक्का नहीं लेने का दुकानदारों के पास एक ही तर्क है कि बैंक सिक्का नहीं ले रहे हैं, तो हम क्यों लें? अब एक व दो रुपये का सिक्का बोझ बन चुका है. बड़े पैमाने पर सिक्के घर में जमा हो चुके हैं. जब सिक्कों को बैंक में ले जाकर दिया, तो दूसरे दिन आने की बात कह टाल दिया गया. इसी कारण दुकानदार ग्राहकों से सिक्का नहीं ले रहे हैं.
अमोद कुमार (बैरिया) : कभी खुदरा पैसे की किल्लत परेशानी का सबब बन जाता था, लेकिन अब वही खुदरा पैसा आम लोगों व व्यापारियों के लिए जी का जंजाल बन गया है. दुकानदारों का कहना है कि बैंक हम से सिक्के नहीं ले रहे हैं. छोटे दुकानदार इसके लिए परेशान हैं, क्योंकि बैंक जाने पर उन्हें उल्टे लौटा दिया जा रहा है. वे कहते है कि रोजाना चाय-पान और फुटकर दुकानदारी करनेवाले व्यापारी भी इन दिनों छोटे सिक्का से परेशान हैं.
सुधीर कुमार (अतरदह) : अगर घर के छोटे-मोटे सामान लेना हो, तो उसे फुटकर दुकानदार से ही लेना पड़ता है. इन सामानों के लिए लोग इन्हें दो चार रुपये रोजाना देते हैं. लेकिन अब वे इसे लेने से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर रोज हजारों रुपये के सिक्के एकत्र हो जा रहे हैं. जब वे बड़े व्यापारी के यहां थोक सामान लेने जाते हैं, तो इन्हीं फुटकर पैसों को देकर सामान लेने की कोशिश करते हैं. लेकिन बड़े व्यापारी यह कह कर उनसे सिक्के नहीं ले रहे कि हम इन्हें लेकर जमा तो नहीं करेंगे.
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