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नवरुणा हत्याकांड में वार्ड पार्षद गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर : चर्चित नवरुणा हत्याकांड में पांच साल में पहली गिरफ्तारी हुई है. सोमवार को वार्ड 23 के पार्षद राकेश कुमार सिन्हा पप्पू को पूछताछ के लिए सीबीआइ के पटना कार्यालय बुलाया गया था. पूछताछ के दौरान ही शक के आधार पर उसे पटना में ही गिरफ्तार कर लिया गया. पूर्व में कई बार सीबीआइ […]

मुजफ्फरपुर : चर्चित नवरुणा हत्याकांड में पांच साल में पहली गिरफ्तारी हुई है. सोमवार को वार्ड 23 के पार्षद राकेश कुमार सिन्हा पप्पू को पूछताछ के लिए सीबीआइ के पटना कार्यालय बुलाया गया था. पूछताछ के दौरान ही शक के आधार पर उसे पटना में ही गिरफ्तार कर लिया गया.

पूर्व में कई बार सीबीआइ कार्यालय से उन्हें बुुलाया जा चुका था. कोर्ट में नार्को व ब्रेन मैपिंग के लिए सीबीआइ ने आवेदन भी दिया था. लेकिन, स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर वार्ड पार्षद ने दोनों टेस्ट कराने से इंकार कर दिया था. 30 अगस्त को सीबीआइ ने पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी व राकेश कुमार सिन्हा पप्पू का आपराधिक इतिहास एसएसपी विवेक कुमार से मांगा था. पप्पू के खिलाफ नगर थाने में पूर्व से डोजियर खुला है. उस पर डकैती के कई मामले
नवरुणा हत्याकांड में
दर्ज है. वर्तमान में वह नगर निगम के सशक्त स्थायी समिति का सदस्य भी है.
पप्पू की गिरफ्तारी से खुलेगा राज
नवरुणा हत्याकांड में वार्ड पार्षद की गिरफ्तारी को काफी अहम माना जा रहा है. बताया जाता है कि सीबीआइ को उसके खिलाफ काफी अहम साक्ष्य मिले है. जल्द ही इस कांड में और भी गिरफ्तारी हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को सितंबर अंत तक कांड की जांच के लिए समय दे रखा है. मंगलवार को उसे कोर्ट में पेश किये जाने की संभावना है. इसके पूर्व सीबीआइ ने शाह आलम शब्बू व ब्रजेश सिंह का भी क्रिमिनल रिकार्ड जिला पुलिस से मांगा था.
मुझे भरोसा है, न्याय मिलेगा : अतुल्य
राकेश सिन्हा पप्पू की गिरफ्तारी पर नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती व मां मैत्री चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे सीबीआइ पर पूरा भरोसा है. लगभग साढ़े तीन साल से सीबीआइ जांच कर रही है. मैत्री ने कहा कि देश की बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ है. केस की जांच में विलंब हो रहा है. लेकिन सीबीआइ गलत नहीं हो सकती.
क्या है मामला
18 सितंबर, 2012 को नगर थाना क्षेत्र के जवाहर लाल रोड स्थित चक्रवर्ती लेन से नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था. नगर पुलिस ने जांच में मामले को प्रेम प्रसंग बतलाया. 26 नवंबर, 2012 को ही नवरुणा के घर के पास स्थित नाले से कंकाल मिला था. बाद में जांच में नवरुणा का कंकाल होने की पुष्टि हुई थी.
मामला बढ़ने पर सीआइडी जांच करायी गयी थी. लेकिन जनवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से सीबीआइ ने जांच की कमान संभाली थी. अब तक सीबीआइ डेढ़ सौ से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है. कोर्ट से उसे छह माह का विस्तार मिला था.

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