सावन की दूसरी सोमवारी पर एक दिन पहले से ही पूरा शहर शिवमय हो गया था. बाबा गरीबनाथ को जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु जुटते हैं. इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए एक ही रास्ता बनाया था. आधी रात तक ठीक-ठाक चला, लेकिन रात सवा 12 बजे के बाद से स्थिति पुलिस व प्रशासन के नियंत्रण से बाहर होने लगी. हालात काबू से बाहर होने पर श्रद्धालुओं को भी इसका अहसास हो गया था. वैसे तो पूरे रास्ते बाबा का जयकारा लगाते हुए वे बाबा गरीबनाथ की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन जब भी भगदड़ या अफरा-तफरी जैसी स्थिति बनी, उनकी आवाज तेज होती गयी. जब प्रभात सिनेमा के पास कांवरियों के चलते पूरी सड़क जाम हो गयी थी, वरीय अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कांवरियों को बैठ जाने का आग्रह कर रहे थे, तब भी भीड़ से ‘बाबा गरीबनाथ की जय‘ और ‘बोलबम’ का नारा ही गूंज रहा था. यूं लग रहा था, जैसे बाबा गरीबनाथ ही बेकाबू हो चुकी भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं. क्योंकि, कुछ देर के लिए ऐसा भी नजारा रहा, जब पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भीड़ बढ़ने पर मूकदर्शक बनकर तमाशा देखने को विवश नजर आये.
सिकंदरपुर के सुनील कुमार, भलुई राजा पोखर के मदन कुमार व शीला देवी, दरियापुर कफेन के अमन कुमार, महमदपुर की रीना कुमारी, गोलू कुमार, शुद्रराज श्रीवास्तव व कुसुम देवी को सरकारी एंबुलेंस व निजी साधनों से अस्पताल पहुंचाया गया था. डॉक्टर के मुताबिक गर्मी व उमस के कारण सभी को कमजोरी हो गयी थी. इलाज के बाद स्थिति सामान्य होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गयी. हालांकि, दर्जनों लोगों का इलाज विभिन्न शिविरों में भी किया गया. अधिकतर लोगों को ग्लूकोज पानी व ओआरएस का घोल भी दिया गया. कांवरिया पथ पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से 18 जगहों पर शिविर लगाया गया था, जहां डॉक्टर के साथ ही पारामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की गयी थी. इसके साथ ही पहले से ही सदर अस्पताल की इमरजेंसी में कर्मचारियों को अलर्ट रखा गया था.